दुबई खुद को अफ्रीका सहित तेजी से उभरते बाजारों में शामिल होने की इच्छुक भारतीय कंपनियों के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में स्थापित कर रहा है, जो कम टैरिफ, लंबे समय तक व्यापार संबंधों और क्षेत्रीय आर्थिक वृद्धि के लिए एक साझा दृष्टिकोण पर निर्भर है। यह बातें मुंबई में आयोजित दुबई-इंडिया बिजनेस फोरम में दुबई चैंबर्स के अध्यक्ष और मुख्य कार्य अधिकारी मोहम्मद अली राशिद लूटा ने कहीं।
उन्होंने कहा, ‘कारोबार के नजरिये से यह भारतीय व्यवसायों के लिए दुबई को एक केंद्र के तौर पर उपयोग करने का शानदार मौका होगा। भारतीय कारोबार के लिए संयुक्त अरब अमीरात और दुबई काफी आकर्षक जगह हो सकती है, जो दुबई का उपयोग करने के लिए वस्तु एवं सेवां का निर्यात कर रहे हैं क्योंकि यहां कम टैरिफ लगता है।’
उनकी यह टिप्पणी अमेरिका द्वारा संयुक्त अरब अमीरात पर 10 फीसदी और भारत पर 26 फीसदी जवाबी शुल्क लगाने के बाद आई है। लूटा ने कहा कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच मसाला और सिल्क रूट के युगों से चले आ रहे हैं और इस मजबूत व्यापार संबंधों के साथ दोनों देश जवाबी टैरिफ जैसी चुनौतियों के बीच उभरते बाजारों में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने दुबई के आकर्षण को भारतीय निर्यातकों और स्टार्टअप कंपनियों के लिए लॉन्चपैड के रूप में उजागर किया, क्योंकि इसकी रणनीतिक स्थिति और अफ्रीका और व्यापक पश्चिम एशिया क्षेत्र से इसकी कनेक्टिविटी स्थापित है। उन्होंने कहा कि दुबई से उड़ानें यूरोप और अफ्रीका के शीर्ष शहरों से जुड़ती हैं, जिससे संयुक्त अरब अमीरात को रणनीतिक लाभ मिलता है।
लूटा ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में दुबई ने भारत में करीब 5 अरब डॉलर का निवेश किया है तथा इसी अवधि में भारत से संयुक्त अरब अमीरात में निवेश 4.2 अरब डॉलर के बराबर रहा।