कंपनियां

भारत के मेडटेक उद्योग की चुनौतियां, सप्लाई चेन की कमी और नियामकीय जटिलताएं बड़ी बाधाएं

मेडटेक के मामले में भारत का नियामकीय ढांचा अब भी विकसित हो रहा है, जिससे जटिल और अक्सर बदलने वाला परिदृश्य सामने आता है।

Published by
अंजलि सिंह   
Last Updated- September 15, 2024 | 10:37 PM IST

भारत के 10 अरब डॉलर के मेडटेक (चिकित्सा तकनीक) बाजार और देश में वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की क्षमता के बावजूद इस क्षेत्र में कारोबारों को बढ़ाना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। विशेषज्ञ इसके लिए कम विकसित आपूर्ति श्रृंखला, नियामकीय जटिलताओं और कौशल की कमी जैसी बाधाओं को वजह मानते हैं।

इस क्षेत्र की प्रमुख दिक्कतों में से एक है मजबूत स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला की कमी। इसे इस साल के वार्षिक स्वास्थ्य सम्मेलन ‘स्केल-अप हेल्थ 2024’ में उजागर किया गया था। भारतीय मेडटेक कंपनियां पुर्जा और अवयव आपूर्तिकर्ताओं की कमी से जूझ रही हैं जिससे उनकी परिचालन बढ़ाने और कीमतों पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता सीमित हो जाती है।

हेल्थियम मेडटेक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अ​धिकारी अनीश बाफना ने इस बात पर जोर दिया कि देश को अपनी बढ़ती विनिर्माण जरूरतों को पूरा करने के लिए और ज्यादा घटक आपूर्तिकर्ताओं की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विकसित तंत्र के बिना घटकों के आयात से लागत बढ़ जाती है, जिससे कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

बाफना ने कहा, ‘हेल्थियम में हम और ज्यादा उत्पाद बनाना चाहेंगे। लेकिन इसके लिए हमें लगभग 200 घटक आपूर्तिकर्ताओं की जरूरत होगी। भारत में घटक आपूर्तिकर्ता नहीं हैं, क्योंकि इसका तंत्र विकसित नहीं है। अगर हम इन घटकों का आयात करते हैं, तो हम उन्हें बाजार में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर नहीं बेच पाएंगे।’

नियामकीय बाधाएं भी महत्वपूर्ण अड़चन हैं। मेडटेक के मामले में भारत का नियामकीय ढांचा अब भी विकसित हो रहा है, जिससे जटिल और अक्सर बदलने वाला परिदृश्य सामने आता है। कंपनियों को कई सरकारी एजेंसियों से संपर्क करना होता है और अलग-अलग मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना होता है, जिसमें वक्त लगता है और यह महंगा साबि​त होता है।

क्रिया मेडिकल टेक्नोलॉजीज की मुख्य कार्य​ अ​धिकारी और संस्थापक अनु मोटूरी ने कहा कि हालांकि फार्मा के लिए भारतीय नियामकीय तंत्र अच्छी तरह से स्थापित है, लेकिन मेडटेक में नियमन अब भी विकसित हो रहा है। उन्होंने इस इस बात पर भी जोर दिया कि इस तरह के मानदंडों को बनाने में ज्यादा स्पष्टता और उद्योग की भागीदारी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में नियामकीय निकायों के ऑडिटर भी बदलते मानदंडों और मानकों को सीखने और लागू करने के लिए अपनी तरह से अच्छा करने की कोशिश कर रहे हैं।

First Published : September 15, 2024 | 10:37 PM IST