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सेंट्रल प्रॉसेसिंग यूनिट के मिल रहे बेहतर परिणाम, मंत्रालय 14 और फॉर्मों को रजिट्रार कार्यालय से CPC में करेगा ट्रांसफर

इस साल फरवरी में सीपीसी की शुरुआत हुई थी। इसमें सभी रजिस्ट्रार कार्यालयों से संबंधित फाइलिंग एक जगह पर केंद्रीकृत कर दिया गया था।

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रुचिका चित्रवंशी   
देव चटर्जी   
Last Updated- July 14, 2024 | 10:17 PM IST

सेंट्रल प्रॉसेसिंग यूनिट (सीपीसी) पेश किए जाने के बाद से वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में कंपनी अधिनियम से जुड़े फॉर्मों की प्रॉसेसिंग में पिछले साल की इसी अवधि के दौरान रजिट्रार कार्यालयों में प्रॉसेसिंग की तुलना में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

इस साल फरवरी में सीपीसी की शुरुआत हुई थी। इसमें सभी रजिस्ट्रार कार्यालयों से संबंधित फाइलिंग एक जगह पर केंद्रीकृत कर दिया गया था। इस समय सिर्फ 12 फॉर्मों की प्रॉसेसिंग सीपीसी के माध्यम से हो रही है। ये फॉर्म सीधी प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं और इनके लिए सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता होती है। इस साल अप्रैल और जून के बीच सीपीसी ने 23,000 फॉर्मों को प्रॉसेस किया।

सूत्रों ने कहा कि कंपनी मामलों का मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के अंत तक इस तरह के 14 और फॉर्मों को कंपनियों के रजिट्रार कार्यालय से सीपीसी में स्थानांतरित करेगा।

सूत्र ने कहा, ‘सरकार कंपनियों को शामिल किए जाने व उनके बाहर निकलने की प्रक्रिया को आसान करने की दिशा में काम कर रही है। इस कदम से कंपनियों को बने रहने की प्रक्रिया को आसान बनाने में भी मदद मिलेगी।’

बहरहाल कंपनी सचिवों और चार्टर्ड अकाउंटेंटों सहित हिस्सेदारों ने कहा है कि सीपीसी में फॉर्मों की प्रॉसेसिंग में देरी होती है।

कैटलिस्ट एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक केतन दलाल ने कहा, ‘सेंट्रल प्रॉसेसिंग यूनिट में फॉर्मों के फाइलिंग का केंद्रीयकण करने की कंपनी मामलों के मंत्रालय की पहल एक अच्छी पहल है। लेकिन ऐसा लगता है कि इस व्यवस्था में कुछ व्यवधान है। खासकर यह तकनीकी वजहों से है, जैसा कि अभी नजर आ रहा है। इसे लेकर कॉर्पोरेट सेक्टर में चिंता है, क्योंकि इस तरह के फर्मों की फाइलिंग महत्त्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए नाम में बदलाव, अधिकृत पूंजी को बढ़ाने और यहां तक कि एनसीएलटी के आदेश पर अमल करने में भी दिक्कत हो रही है।’

बहरहाल सूत्रों ने कहा कि ऐसा कोई मसला नहीं है और सीपीसी फेसलेस इकाई है, इसलिए उद्योग के हिस्सेदारों को संपर्क करने या किसी व्यक्ति से मिलने की जरूरत नहीं होती है। सूत्र ने कहा, ‘अगर फाइलिंग को लेकर कोई मसला है तो इसके बारे में कंपनियों को बताया जाता है। कोई देरी नहीं होती है। दरअसल हम देख रहे हैं कि प्रॉसेसिंग की रफ्तार तेज है और सीपीसी पेश किए जाने के पहले की तुलना में ज्यादा फॉर्म निपटाए जा रहे हैं।’

कंपनी मामलों के मंत्रालय ने आवेदनों और इनकॉर्पोरेशन, क्लोजर और नियामकीय जरूरतों को पूरा करने संबंधी फॉर्मों की तेज प्रॉसेसिंग के लिए सेंट्रल रजिस्ट्रेशन सेंटर (सीआरसी) और सेंट्रलाइज्ड प्रॉसेसिंग फॉर एक्सेलरेटेड कॉर्पोरेट एग्जिट (सी-पीएसीई) भी स्थापित किए हैं।

First Published : July 14, 2024 | 10:07 PM IST