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सीधे ग्राहक तक जाने वाले ब्रांडों को तेजी से भा रहा क्विक कॉमर्स, बढ़ रहा कारोबार

ई-कॉमर्स की तुलना में क्विक कॉमर्स पर डी2सी कंपनियों का तेजी से बढ़ रहा कारोबार

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आर्यमन गुप्ता   
Last Updated- June 09, 2024 | 10:25 PM IST

लोगों के बीच क्विक कॉमर्स (झटपट सामान पहुंचाने वाले माध्यम) की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए अब उपभोक्ता वस्तु बेचने वाले ब्रांड भी इस पर अपनी मौजूगदी बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। उपभोक्ता वस्तु एवं ग्रॉसरी खंडों के अलावा क्विक कॉमर्स डायरेक्ट-टू-कस्टमर (डी2सी) ब्रांडों के लिए भी पसंदीदा प्लेटफॉर्म बनता जा रहा है। क्विक कॉमर्स में डी2सी का दबदबा बढ़ता ही जा रहा है और इसने परंपरागत ई-कॉमर्स को भी पीछे छोड़ दिया है। कई इकाइयों ने कहा कि यह माध्यम लाभ कमाने के भी अधिक मौके दे रहा है।

होनासा कंज्यूमर के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी वरुण अलघ ने कहा कि उनकी कंपनी का कारोबार परंपरागत ई-कॉमर्स माध्यमों की तुलना में क्विक कॉमर्स के जरिये अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है। होनासा कंज्यूमर ममाअर्थ, द डर्मा कंपनी और बीब्लंट जैसी डी2सी ब्रांडों की मूल कंपनी है।

अलग ने कहा, ‘क्विक कॉमर्स तेजी से आगे बढ़ रहा है। यूं कहें तो अन्य बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों की तुलना में क्विक कॉमर्स लगभग 4 से 5 गुना रफ्तार से प्रगति कर रहा है। हालांकि, यह वृद्धि केवल ममाअर्थ जैसे स्किनकेयर ब्रांड्स तक ही सीमित नहीं रही है।‘

इलेक्ट्रॉनिक उपभोक्ता वस्तु बनाने वाले ब्रांड बोट के मुख्य कार्याधिकारी समीर मेहता के अनुसार क्विक कॉमर्स इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं, विशेषकर महंगे उपकरणों, के लिए मुफीद साबित हो रहा है। मेहता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ब्लिंकइट से पहले मुझे नहीं लगता था कि किसी ने क्विक कॉमर्स खंड के बारे में सोचा भी होगा। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। हमें लगता है कि मार्च 2025 तक हमारे कारोबार का कम से कम 5 प्रतिशत हिस्सा क्विक कॉमर्स के माध्यम से आएगा।‘

क्विक कॉमर्स पर कारोबार तेजी से बढ़ने के दावे जरूर किए जा रहे हैं मगर न्यून आधार प्रभाव भी इसका एक कारण हो सकता है। पिछले साल तक एक श्रेणी या खंड के रूप में क्विक कॉमर्स को अधिक पहचान नहीं मिली थी।

एक अन्य इलेक्ट्रॉनिक ब्रांड नॉइज के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी गौरव खत्री ने कहा, ‘कागज पर तो वाकई तेजी दिख रही है क्योंकि एक वर्ष पहले तक क्विक कॉमर्स को कोई विशेष पहचान नहीं मिल पाई थी। मगर इसमें कोई शक नहीं कि एक माध्यम के रूप में क्विक कॉमर्स की मांग काफी अधिक है। यह हमारी उम्मीद से भी अधिक है।‘

खत्री ने कहा कि ब्लिंकइट पर स्मार्टवॉच खंड में नॉइज की इस समय 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा, ‘क्विक कॉमर्स हमें यह समझने में भी मदद कर रहा है कि ये माध्यम किस तरह हमारे संपूर्ण कारोबारी योजनाओं में अहम योगदान दे सकते हैं।‘

अधिक मुनाफा भी

कोविड-19 महामारी के दौरान क्विक कॉमर्स की लोकप्रियता काफी बढ़ी थी और 15 मिनटों में किराना सामान पहुंचाए जा रहे थे। अब इस खंड में काम करने वाली कंपनियां जैसे जोमैटो नियंत्रित ब्लिंकइट, स्विगी इंस्टामार्ट और जेप्टो ने इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, फैशन एवं सौंदर्य से जुड़े सामान एवं चश्मे आदि भी झटपट पहुंचाने लगी हैं।

खत्री ने कहा, ‘परंपरागत ई-कॉमर्स के मुकाबले क्विक कॉमर्स के साथ कुछ खास फायदे जुड़े हैं। उदाहरण के लिए कैश ऑन डिलिवरी (सामान लेने के बाद भुगतान) का चलन कम हो रहा है वहीं, प्री-पेड ऑर्डर अधिक आ रहे हैं। ग्राहक अब सामान भी कम रिटर्न कर रहे हैं। यानी कारोबार अधिक सुगमता से हो रहा है जिससे मार्जिन में सुधार की गुंजाइश बढ़ गई है।‘

क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों के व्यवहार में भी भिन्नता देखी जा रही है। यह भी बेहतर मार्जिन (क्विक कॉमर्स पर) ला रहा है।

मेहता ने कहा, ‘जो ग्राहक अधिक किफायत चाहते हैं वे ई-कॉमर्स को तरजीह देते हैं मगर जो लोग अच्छी तरह परखने के बाद खरीदारी के आदि होते हैं वे सीधे दुकान या स्टोर जाकर सामान लेते हैं। क्विक कॉमर्स पर खरीदारी करने वाले सधे ग्राहक होते हैं जिन्हें यह माध्यम काफी भाता है। कुल मिलाकर, दोनों माध्यमों के अलग-अलग ग्राहक हैं।‘

कीमतों को लेकर मोल-भाव करने वाले ग्राहकों के कम होने से ब्रांडों को अधिक मुनाफा भी हो रहा है। मेहता ने कहा कि इसी वजह से बोट जैसे ब्रांड ऊंची कीमतों पर भी सामान बेच पा रहे हैं।

बर्टल्समैन इंडिया इन्वेस्टमेंट्स (बीआईआई) में प्रबंध निदेशक पंकज मक्कड़ के अनुसार आने वाले समय में समूचे कॉमर्स खंड में क्विक कॉमर्स एक बड़ा हिस्सा झटक सकता है।

बीआईआई ने लिशस और पेपरफ्राई जैसी कंपनियों में निवेश किए हैं। मक्कड़ ने कहा, ‘क्विक कॉमर्स ई-कॉमर्स कारोबार को एक नया आयाम दे रहा है। ई-कॉमर्स सालाना 10-15 प्रतिशत दर से बढ़ रहा है वहीं, क्विक कॉमर्स 50 प्रतिशत दर से भी अधिक तेजी से बढ़ रहा है।‘

First Published : June 9, 2024 | 10:25 PM IST