घरेलू बाजार में बीपीओ की मांग बढ़ी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 4:33 PM IST

आम तौर पर निर्यात पर आश्रित रहने वाली भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिंग  (बीपीओ) कंपनियों को रुपये की बढ़ती कीमत से चाहे परेशानी हो रही है, लेकिन घरेलू बाजार में उन्हें खासी चमक नजर आ रही है।


रुपये की ताकत में बढ़ोतरी और 2009 के बाद कर रियायतों में कटौती की वजह से आईटी और बीपीओ उद्योग परेशान हो सकता है। लेकिन नामी कंपनियां घरेलू बाजार में विस्तार की असीम संभावनाएं देख रही हैं।


पिछले कुछ साल में वैसे भी घरेलू बाजार में इस उद्योग को खासा उछाल मिला है। सॉफ्टवेयर सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों के संगठन नैसकॉम ने एवरेस्ट रिसर्च इंस्टीटयूट के साथ कराए गए अध्ययन में इस पर बारीकी से ध्यान दिया है।


 उसके मुताबिक घरेलू बीपीओ बाजार में 50 फीसदी की बढ़ोतरी रही है। कुल भारतीय बीपीओ बाजार के मुकाबले यह रफ्तार काफी तेज है।


आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के अंत तक घरेलू बीपीओ बाजार लगभग 6,400 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। यह बाजार 2012 तक तक इसका आकार बढ़कर 60,000 से 80,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।


एवरेस्ट रिसर्च इंस्टीटयूट में वरिष्ठ शोध विश्लेषक जिमित अरोड़ा के अनुसार घरेलू बीपीओ में मौके तलाश रही कंपनियों को काफी फायदा होगा।


दिग्गज आईटी कंपनी आईबीएम भी इसका जबर्दस्त फायदा उठा रही है और भारत में अरबों डॉलर के सौदे हासिल कर अपनी पैठ मजबूत कर चुकी है।


घरेलू कंपनियां इस उछाल से बखूबी वाकिफ हैं। मसलन देश की तीसरी सबसे बड़ी बीपीओ कंपनी इन्फोविजन घरेलू बाजार के लिए अपने कर्मचारियों की संख्या अगले दो साल में दोगुनी करने की योजना बना रही है।


इन्फोविजन के अध्यक्ष आदित्य गुप्ता ने कहा, ‘फिलहाल हमारी कंपनी 250 करोड़ रुपये के कारोबार वाली कंपनी है।


हमारे कारोबार में घरेलू हिस्सेदारी लगभग 70 फीसदी है। हमारा मकसद इसे चार गुना बढ़ा कर 1000 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है।’
इंटेलनेट ग्लोबल सर्विसेज के सीएफओ रामचंद्र पाणिकर का भी पूरा जोर घरेलू कारोबार पर है।


वह कहते हैं, ‘घरेलू बीपीओ कारोबार से हमें हर साला 240 करोड़ रुपये की आमदनी होती है। हमारा खयाल है कि इस बाजार में अगले दो साल में सालाना 50 फीसदी की दर से इजाफा होगा।


भारत में सात स्थानों पर हमारे 15,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। हम अपने कर्मचारियों की संख्या में भी हर साल 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी करेंगे।’


एजीज बीपीओ के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक अपरूप सेनगुप्ता का खयाल भी कुछ ऐसा ही है। वह कहते हैं कि बाजार का सूरत-ए-हाल बीपीओ की चाल तय करता है।


कई बार तो ठेके कंपनियों की शोहरत की वजह से ही दिए जाते हैं। ज्यादातर कंपनियां अब घरेलू बाजार पर पैनी निगाह रख रही हैं।
इंटलनेट ग्लोबल सर्विसेज में इंडिया डोमेस्टिक बीपीओ बिजनेस की मुख्य परिचालन अधिकारी राधिका बालासुब्रह्मण्यम की राय भी अलग नहीं है।


 वह कहती हैं, ‘घरेलू बीपीओ बाजार में विकास की जबर्दस्त गुंजाइश है और उसी हिसाब से यहां मौके भी मौजूद हैं। लेकिन अभी हमें अंतरराष्ट्रीय घरेलू आमदनी के बीच सतुंलन बनाना होगा। हम यहां संभावनाएं तलाश रहे हैं।’


नैसकॉम के उपाध्यक्ष अमित निवसरकार कहते हैं कि घरेलू बीपीओ बाजार ने पिछले साल 40 फीसदी का इजाफा दर्ज किया था और अर्थव्यवस्था की तेजी के बीच यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।


अंतरराष्ट्रीय कारोबार के मुकाबले घरेलू बीपीओ कारोबार पर लागत कम आती है और उसमें जोखिम भी कम होता है। यही वजह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां अब यहीं की राह पकड़ रही हैं।

First Published : March 14, 2008 | 7:56 PM IST