दिवाला प्रक्रिया के जरिये भूषण पावर ऐंड स्टील के अधिग्रहण के जेएसडब्ल्यू स्टील के कदम को अवैध करार देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले पर विस्तार से विचार किया जा रहा है। वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने आज बताया कि विभाग ने ऋणदाताओं के साथ मिलकर इस फैसले की समीक्षा की है और अब इस पर सरकार की राय ली जाएगी। उसके बाद ही आगे की कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा।
नागराजू ने यह भी बताया कि आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया इसी कैलेंडर वर्ष में पूरी कर ली जाएगी। एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बात करते हुए नागराजू ने कहा, ‘मैंने सभी ऋणदाताओं के साथ आदेश का अध्ययन कर लिया है। हमने फैसले पर अपने वकीलों की राय भी ली है। अब हमें सरकार से पूछना होगा कि इस फैसले पर क्या किया जाए।’
पिछले सप्ताह शीर्ष न्यायालय ने भूषण पावर ऐंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड की समाधान योजना को अवैध करार दिया था। न्यायालय ने भूषण स्टील के परिसमापन का आदेश दिया। यह फैसला जेएसडब्ल्यू स्टील द्वारा ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत कंपनी के अधिग्रहण के 4 साल बाद आया है। बैंकों को भूषण स्टील के समाधान से मिला धन वापस करना होगा और इसके लिए उन्हें चालू तिमाही में प्रावधान करना होगा।
शीर्ष न्यायालय के दो न्यायाधीशों न्यायमू्र्ति बेला एम त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा के पीठ ने कहा कि समाधान प्रक्रिया अवैध है और यह आईबीसी के प्रावधानों के उलट है। जेएसडब्ल्यू स्टील ने मार्च 2021 में भूषण पावर ऐंड स्टील का अधिग्रहण पूरा किया था और देश की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी बन गई थी। सज्जन जिंदल की कंपनी ने भूषण पावर ऐंड स्टील के वित्तीय लेनदारों को 19,350 करोड़ रुपये दिए थे। लेनदारों का कंपनी पर कुल 47,204.51 करोड़ रुपये बकाया था।
भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, केनरा बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक ने भूषण पावर ऐंड स्टील को काफी कर्ज दिया था। भूषण स्टील उन दर्जन भर कंपनियों में शामिल थी, जिन्हें आईबीसी के तहत 2017 में कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में डाला गया था।
अधिग्रहण रद्द करने के शीर्ष न्यायालय के फैसले के बाद बैंकों को जेएसडब्ल्यू स्टील से मिला धन वापस करना होगा। इसके लिए बैंकों को वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही से प्रावधान करना होगा। ब्रोकरेज रिपोर्टों के मुताबिक बैंकों को कुल 19,328 करोड़ रुपये मिले। इसमें भारतीय स्टेट बैंक को 4,028 करोड़ रुपये, पंजाब नैशनल बैंक को 3,032 करोड़ रुपये, केनरा बैंक को 1,648 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 1,434 करोड़ रुपये और इंडियन बैंक को 1,265 करोड़ रुपये मिले हैं।
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘हमें लगता है कि जेएसडब्ल्यू स्टील जल्द ही उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। इस पर स्थगनादेश आ सकता है और मामले को बड़े पीठ के पास भेजा जा सकता है।’