हैदराबाद की कंपनी अरबिंदो फार्मा ने अपनी अमेरिकी सहायक इकाई नैटरोल एलएलसी को निजी इक्विटी फर्म न्यू माउंटेन कैपिटल तथा उसकी संबद्घ इकाई जैरो फॉम्र्युलाज के हाथ बेचने का करार किया है। लगभग 55 करोड़ डॉलर यानी करीब 4,048 करोड़ रुपये का यह सौदा पूरी तरह नकद में होगा। माना जा रहा है कि इससे अरबिंदो को अपना कर्ज चुकाने और कर्ज मुक्त कंपनी बनने में मदद मिलेगी।
सौदा नियामकीय मंजूरी पर निर्भर करेगा और अगले साल जनवरी तक सौदा पूरा हो जाने की उम्मीद है। अरबिंदो ने दिसंबर, 2014 में नैटरोल का अधिग्रहण किया था और मार्च 2020 में समाप्त साल में कंपनी की बिक्री 15.7 करोड़ डॉलर रही थी।
सुबह सौदे की खबर आते ही अरबिंदो फार्मा का शेयर उछल गया मगर कारोबार की समाप्ति पर यह शुक्रवार के बंद भाव के आसपास 748.65 रुपये पर बंद हुआ। निफ्टी फार्मा सूचकांक 1.6 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ। अरबिंदो के कुल कारोबार में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी और यूरोपीय बाजारों की हिस्सेदारी करीब 22 फीसदी है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत में अरबिंदो पर 6.8 करोड़ डॉलर का शुद्घ कर्ज था। जून तिमाही में कंपनी की अमेरिकी आय 15.6 फीसदी बढ़कर 3,107 करोड़ रुपये हो गई। पिछले वित्त वर्ष में कंपनी की आय 18 फीसदी बढ़कर 23,098 करोड़ रुपये रही थी। अमेरिकी कारोबार में 27 फीसदी का इजाफा हुआ था।
ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि यह सौदा अरबिंदो के लिए आकर्षक है क्योंकि इससे वह कर्ज-मुक्त कंपनी बन सकती है और सौदे से मिलने वाली रकम से कर्ज चुका सकती है। प्रभुदास लीलाधर में विश्लेषक सुरजीत पाल ने कहा कि इस बिक्री के बाद अरबिंदो का कर्ज तो पूरी तरह खत्म हो ही जाएगा, यूजिया के संयंत्र में अल्पांश हिस्सेदारी खरीदने के लिए 10 करोड़ डॉलर चुकाने में भी उसे मदद मिलेगी।
अरबिंदो फार्मा के प्रबंध निदेशक एन गोविंदराजन ने कहा, ‘अरबिंदो अपना पोर्टफोलियो बढ़ाने के लिए रणनीतिक विकल्प तोलने और उन्हें आजमाने के लिए प्रतिबद्घ है ताकि उसके शेयरधारकों के लिए कीमत में इजाफा हो।’
