सरकार लेखा मानक-11 (एएस-11) पर अगले कुछ दिनों के भीतर फैसला ले सकती है। यह जानकारी कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने दी है।
सरकार की लेखा मानकों की राष्ट्रीय सलाहकार समिति (नैशनल एडवाइजरी कमिटी ऑन अकाउंटिंग स्टैंडड्र्स; एनएसीएएस) ने लेखा मानक-11 (एएस-11) का अनुपालन वर्ष 2011 तक टाल दिया था। समिति ने यह फैसला इस मुद्दे पर उद्योग जगत में एक राय नहीं होने के बावजूद किया था।
साथ ही, इस मामले पर ऑडिट्र्स की नियामक संस्था, इंस्टीटयूट् ऑफ चार्टडेड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने भी समिति के फैसले का कड़ा विरोध किया था। वैसे, समिति के पास अपने विवेक के आधार पर फैसला लेने का अधिकार है।
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने उद्योग जगत के निवेदन पर इस मामले को वापस समिति के पास भेज दिया है। दरअसल, वैश्विक मंदी और रुपये की कमजोर होती सेहत की वजह से भारतीय उद्योग जगत की हालत अभी पस्त है।
विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव से कंपनियों को होने वाले नफा-नुकसान का आकलन इसी लेखा मानक (एएस-11) के जरिए किए जाने का प्रस्ताव था। लेकिन एनएसीएएस के ताजा निर्णय का मतलब यह हुआ कि घरेलू कंपनियों को विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव से होने वाले नफा-नुकसान का विवरण अब वर्ष 2011 तक नहीं देना पड़ता।
विदेशी मुद्रा के तेजी से मजबूत और तेजी से कमजोर होने से भारतीय कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इसलिए भारतीय कंपनियां एएस-11 का क्रियान्वयन टालने के लिए जोरदार दबाव डाल रही थीं। भारतीय उद्योग जगत के मुताबिक, वैश्विक मंदी से उनका कामकाज पहले ही प्रभावित है। ऐसे में यदि यह प्रावधान लागू हुआ तो उद्योग पर और नकारात्मक असर पड़ेगा।
सरकार के इस निर्णय का उद्योग जगत बड़ी व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रहा था। खासकर तब जब रुपया काफी कमजोर हो चुका है। इस समय डॉलर की तुलना में रुपया 52 रुपये के आसपास चल रहा है। ज्यादातर उद्योगों ने कर्ज तब लिया था जब डॉलर 42 रुपये पर था।
द इंस्टीटयूट ऑफ चार्टड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, ”सरकार उद्योग की मांग मानते हुए एएस-11 का अनुपालन टालने जा रही है।” उसके मुताबिक, ”मंदी में कंपनियों को मदद के नाम पर एएस-11 का क्रियान्वयन अगले दो साल के लिए टाला जा रहा है।
कंपनियां जब मुनाफे में थी, तब वे विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव की शिकायत कर रही थीं। लेकिन अब जब उसे नुकसान हो रहा है तब कंपनियां चुप हो गई हैं।” आईसीएआई अध्यक्ष उत्तम प्रकाश अग्रवाल प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। हालांकि बिानेस स्टैंडर्ड को दिए पहले के साक्षात्कार में उन्होंने एएस-11 में किसी ढील का विरोध किया था।
उन्होंने कहा था कि इस बारे में आईसीएआई में मतभेद है जिसके चलते किसी निष्कर्ष तक पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा है। देश में लेखा मानकों को लागू करने की शीर्ष संस्था एनएसीएएस है। जब आईसीएआई इस मुद्दे पर कोई राय बनाने में नाकाम रहा तब एनएसीएएस ने यह निर्णय लिया।
संस्थान के एकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स बोर्ड ने आईसीएआई परिषद की बैठक से पहले मामले को एक उपसमिति के हवाले कर दिया। कानूनी राय के आधार पर ज्यादातर कंपनियां एएस-11 का अनुसरण नहीं करतीं। वे कंपनी अधिनियम की अनुसूची-6 का पालन करती हैं।
