तीन साल पहले दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समाधान वाली भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पहली गैर-निष्पादित संपत्तियों की सूची में एमटेक ऑटो को शामिल किया गया था। तब इस मामले को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण में लाया गया था। आज बोली की राशि में कमी आ चुकी है, स्टैंडएलोन राजस्वों में कमी आ रही है और फिर भी समाधान प्रक्रिया पर संकट है।
एमटेक आईबीसी के उन चंद मामलों में से है जिनमें कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद दोबारा शुरू की गई थी। जेपी इन्फ्राटेक के बाद यह दूसरा मामला है जिसमें यह प्रक्रिया फिर से शुरू हुई है।
आईबीसी की समयसीमा के मुताबिक एमटेक के लिए प्रक्रिया अप्रैल 2018 में पूरी हो जानी चाहिए थी। हालांकि, लिबर्टी हाउस ग्रुप ने गलत प्रस्तुति/तथ्यों की गलती/कॉर्पोरेट कर्जदार से संबंधित जानकारियों में अनियमितताओं की बात कही थी और 4,024 करोड़ रुपये की उसकी समाधान योजना को लागू नहीं किया था, अग्रिम भुगतान 3,310 करोड़ रुपये का था।
एमटेक के सूचना ज्ञापन पत्र में 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का खुलासा किया गया था जिसमें से नियत संपत्ति 9,700 करोड़ रुपये की थी और ऋणशोधन मूल्य 4,100 करोड़ रुपये था।
लिबर्टी से जुड़े सूत्रों ने दावा किया कि लिबर्टी की समाधान योजना की मंजूरी के बाद 7,000 करोड़ रुपये की निर्धारित संपत्तियों को समाधान योजना जमा कराने की तारीख से पहले की तारीख से बट्टे खाते में डाल दिया गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि परिसमापन मूल्य इसलिए बहुत ज्यादा था कि बहुता सी नई मशीनों की कीमत मूल्यकर्ताओं की ओर से दिए गए परिसमापन मूल्य से भी कम लिखे थे। इसके अलावा, बिक्री, एबिटा और अंतर्समूह संबंधों की जानकारी भ्रामक थी।
समाधान पेशेवर से इस मामले में टिप्पणी लेने के लिए संपर्क नहीं हो पाया। लिबर्टी योजना का क्रियान्वयन नहीं होने से राष्ट्रीय कंपनी कानून अपील न्यायाधिकरण को परिसमापन का आदेश देना पड़ा। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने ऋणदाताओं की एक समिति के अपील पर समाधान पेशेवर को ताजा पेशकश आमंत्रित करने की अनुमति दे दी थी।
इस साल जनवरी में अमेरिका स्थित हेज फंड डेक्कन वैल्यू इन्वेस्टर ने कंपनी के लिए 2,700 करोड़ रुपये की बोली जमा कराई थी जिसमें 500 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान शामिल था। शेष 2,200 करोड़ का भुगतान भविष्य के नकद प्रवाह से किया जाएगा। एमटेक पर ऋणदाताओं का 12,500 करोड़ रुपये का कर्ज है।
एमटेक को कर्ज देने वाले एक ऋणदाता ने कहा, ‘प्रक्रिया में में देरी से मूल्य में काफी कमी आ गई है। वसूली रकम 4,000 करोड़ रुपये से घटकर 2,700 करोड़ रुपये रह गई है। इसके अलावा कोविड-19 से संबंधित समस्याओं ने मुद्दे को और बिगाड़ दिया है।’
