ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एमेजॉन के शीर्ष अधिकारी बुधवार को व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 से संबंधित संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष उपस्थित हुए। सूत्रों के मुताबिक इस अवसर पर राकेश बख्शी (हेड-लीगल वाइस प्रेसिडेंट) और चेतन कृष्णस्वामी (वाइस प्रेसिडेंट पब्लिक पॉलिसी) समेत एमेजॉन वेब सर्विसेज और एमेजॉन इंडिया के विशेषज्ञों ने समिति के समक्ष व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पर एक विस्तृत प्रस्तुति भी दी।
जानकारों के मुताबिक पूरी चर्चा व्यक्तिगत डेटा संरक्षण के ढांचे में सुधार और भारत को एशिया का बड़ा डेटा सेंटर बनाने के इर्दगिर्द केंद्रित रही। इसके तहत एक ऐसा ढांचा बनाने पर बात हुई जो अन्य देशों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करे कि वे अपना डेटा भारत में भंडारित करें। इससे न केवल नए रोजगार तैयार होंगे बल्कि देश में स्टार्टअप को तेज विकास करने में भी मदद मिलेगी।
संयुक्त संसदीय समिति ने एमेजॉन के अधिकारियों से विभिन्न देशों के बीच सीमा पार डेटा प्रवाह और सीमा पार व्यापार को लेकर भी सवाल किए। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी सवाल किए और अधिकारियों से पूछा कि इसके लिए आदर्श नीति कैसी
होनी चाहिए।
उद्योग जगत के एक सूत्र के मुताबिक बातचीत काफी शांतिपूर्ण रही। इस दौरान ज्यादातर बातें व्यक्तिगत डेटा संरक्षण और डेटा के स्थानीयकरण को मजबूत बनाने को लेकर हुईं।
चूंकि भारत में तकनीकी श्रम शक्ति की कमी नहीं है और लक्ष्य एक ऐसा बुनियादी ढांचा तैयार करने का है जहां डेटा सेंटर हैकरों, साइबर चुनौतियों और आपदाओं से सुरक्षित रहें तथा विभिन्न देशों को भारत में अपना डेटा भंडारित करने के लिए मनाया जा सके। मिसाल के तौर पर आयरलैंड को बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के यूरोपियन डेटा सेंटर के लिए जाना जाता है।
अधिकारियों और समिति की बैठक करीब 1.5 घंटे चली। चूंकि समिति के पास ढेर सारे सवाल थे इसलिए एमेजॉन को एक प्रश्नावली भेजने का निर्णय लिया गया। एमेजॉन ने इस मुलाकात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
एमेजॉन से पहले सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर ने भी बुधवार को एक प्रस्तुति दी। इसके बाद गूगल और डिजिटल भुगतान कंपनी पेटीएम के संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष पेश होने की आशा है। गत सप्ताह फेसबुक के अधिकारी समिति के सामने हाजिर हुए थे।
विशेषज्ञों के मुताबिक संसदीय समिति व्यक्तिगत डेटा संरक्षण को लेकर एमेजॉन, फेसबुक और गूगल समेत सभी अंशधारकों का नजरिया जानना चाहती है। ये बड़ी कंपनियां डेटा बिचौलिये के रूप में काम करती हैं और बहुत बड़े पैमाने पर डेटा का प्रबंधन और प्रसंस्करण करती हैं।
पहले खबर आई थी कि जेफ बेजोस के नेतृत्व वाली एमेजॉन ने समिति के सामने पेश होने में अक्षमता जताई है।
एमेजॉन ने समिति से कहा था कि उसके विशेषज्ञ विदेश में हैं और कोविड-19 महामारी के कारण वे भारत आने में अक्षम हैं। समिति ने इसे संसद के विशेषाधिकार का हनन माना था और वह एमेजॉन के खिलाफ कार्रवाई करने का इरादा बना रही थी। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद कंपनी ने तय किया कि विदेशों के विशेषज्ञों को बुलाने के बजाय भारत में मौजूदा विशेषज्ञ समिति से भेंट करेंगे और अपनी प्रस्तुति देंगे।
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को गत वर्ष दिसंबर में लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक लोगों के निजी डेटा को संरक्षण देने और उसके लिए डेटा संरक्षण प्राधिकार का गठन करने की बात कहता है। टेक पॉलिसी थिंक टैंक द डायलॉग के संस्थापक काजिम रिजवी कहते हैं कि देश के डेटा संरक्षण प्राधिकार की स्वतंत्रता और उसकी क्षमता इस बात में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी कि वैश्विक डेटा क्षेत्र और विश्व अर्थव्यवस्था में भारत को क्या जगह मिलती है। रिजवी कहते हैं कि इस प्राधिकार की क्षमता और स्वायत्तता का उस सीमा पार व्यापार पर काफी असर होगा जो डेटा के निर्बाध प्रवाह से तय होता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक निजता व्यवस्था इस बात पर खास तवज्जो देती है कि कोई डेटा संरक्षण प्राधिकार किस हद तक स्वतंत्र और सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी निजता व्यवस्था कायम करने की दिशा में बढ़ रहा है और माना जा सकता है कि देश का डेटा संरक्षण प्राधिकार केवल जांच और प्रवर्तन का काम नहीं करेगा बल्कि वह कानून के तहत सिद्धांत और दायित्वों की जवाबदेही भी लेगा।
