कर्ज के बोझ से घिरी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया ने खर्च में कटौती की मुहिम शुरू कर दी है। एयर इंडिया ने साफ कर दिया है कि वह अपने करीब 600 कर्मचारियों को बिना वेतन के अवकाश पर भेजेगी। यह पहला मौका है जब कंपनी ने इस तरह का कदम उठाया है। 7 जुलाई को एयर इंडिया के निदेशक मंडल की बैठक में कर्मचारियों को छह महीने से लेकर पांच वर्ष तक की अवधि के लिए बिना वेतन अवकाश पर भेजने के प्रस्ताव पर मंजूरी दी गर्ई थी।
हालांकि शुरुआत में कंपनी ने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक तौर पर यह योजना शुरू की है, लेकिन कर्मचारियों ने इसमें खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। ऐसे में निदेशक मंडल ने कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक राजीव बंसल को कर्मचारियों को जबरन अवकाश पर भेजने का अधिकार दे दिया है। जो कर्मचारी बिना वेतन अवकाश पर जाना चाहते हैं, उन्हें 15 अगस्त तक अपने विभागीय प्रमुख को इसकी सूचना देनी होगी। एयर इंडिया में 9,426 कर्मचारी पेरॉल पर काम करते हैं, जिनमें 4,200 अनुबंध पर कंपनी को अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
कंपनी के मानव संसाधन विभाग से कर्मचारियों को भेजे नोटिस में कहा गया है कि उनका मूल्यांकन क्षमता, प्रदर्शन की गुणवत्ता, स्वास्थ्य सहित कुछ अन्य मानदंडों के आधार पर होगा। नोटिस में कहा गया है,’बिना वेतन अवकाश की अवधि के दौरान कर्मचारियों को किसी तरह का बुनियादी वेतन, महंगाई भत्ता या अन्य लाभों जैसे पेंशन, गै्रच्युटी, भविष्य निधि, वेतन वृद्धि आदि नहीं दिए जाएंगे। कनिष्ठ कर्मचारियों के मुकाबले उनका ओहदा भी कम हो जाएगा।’ कर्मचारियों के लिए बने आवास में रहने वाले ऐसे लोगों को घर खाली करना होगा या विमानन कंपनी को मौजूदा दरों के हिसाब से किराया देना होगा।
एयर इंडिया के इस रुख के बाद उन कर्मचारियों, खासकर पायलट एवं चालक दल के सदस्यों की चिंता बढ़ गई है, जिन्हें लगता है कि उन पर सबसे पहले गाज गिरेगी। एयर इंडिया के पायलट संघ इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशसन के महासचिव प्रवीण कीथी ने कहा, ‘इस तरह का कोई भी बोझ कंपनी के सभी विभागों को साझा करना चाहिए। अगर कुछ खास तरह के कर्मचारियों को बिना वेतन अवकाश पर भेजा जाता है तो शीर्ष प्रबंधन स्वयं को सुरक्षित रखकर दूसरों पर बोझ डालेगा। प्रबंधन को इस समय अपना स्वार्थ नहीं देखना चाहिए।’
एयर इंडिया पर 69,575.64 करोड़ रुपय कर्ज हैं और सरकार इसके निजीकरण का रास्ता तलाश रही है। वित्त वर्ष 2019 में कंपनी को 8,556.35 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। राजस्व की कमी झेल रही सरकार ने भी एयर इंडिया को पूंजी देने से इनकार कर दिया है।
