कंपनियां

Adani Group Shares: नए आरोप के बाद टूटे अदाणी के शेयर

अदाणी समूह ने हालांकि शेयर कीमतों में मनमाना फेरबदल के नए आरोपों को गलत बताया है

Published by
सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- August 31, 2023 | 11:42 PM IST

अदाणी समूह के शेयर गुरुवार को इस खबर के बाद टूट गए, जिसमें कहा गया है कि खोजी पत्रकारों के एक समूह का आरोप है कि अदाणी परिवार की सहायक के नियंत्रण वाली विदेशी इकाइयों ने करोड़ों की कमाई की है और इसके लिए 2013 से लेकर 2018 तक समूह के शेयर कीमतों को सहारा देते रहे हैं। यह खबर खोजी पत्रकारों के समूह की तरफ से जारी दस्तावेजों पर आधारित है, जिसके बाद शेयरों में गिरावट आई।

एक को छोड़कर अदाणी समूह के सभी शेयरों में 2.2 फीसदी से लेकर 4.4 फीसदी तक की गिरावट आई और इस तरह से समूह के बाजार पूंजीकरण में करीब 36,000 करोड़ रुपये की चोट पड़ी। इस तरह से बंदरगाह से लेकर बिजली क्षेत्र के दिग्गज समूह के लिए नई परेशानी खड़ी हो गई, जो पहले से ही हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद दबाव का सामना कर रहा है। अदाणी समूह का बाजार पूंजीकरण 24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्टसेलर की तरफ से कॉरपोरेट धोखाधड़ी और शेयर कीमतों में मनमाने फेरबदल के आरोपों के बाद से 8.4 लाख करोड़ रुपये घटा है।

आर्गनाइज्ड क्राइम ऐंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) की तरफ से दो ब्रिटिश अखबारों को जारी दस्तावेजों में आरोप लगाया गया है कि सार्वजनिक रूप से ट्रेडिंग होने वाले अदाणी के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश मॉरीशस आधारित अपारदर्शी इन्वेस्टमेंट फंडों के जरिए किया गया। दोनों मानलों में निवेशकों का अदाणी फैमिली से गठजोड़ है।

आरोपों को गलत बताते हुए अदाणी समूह ने कहा है कि ये विदेशी फंड पहले से ही बाजार नियामक सेबी की जांच का हिस्सा हैं। सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से नियुक्त विशेषज्ञ समिति को न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों में किसी तरह के उल्लंघन या शेयर कीमतों में मनमाने फेरबदल के सबूत नहीं मिले।

समूह ने एक बयान में कहा, हमें कानूनी प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है और अपने डिस्क्लोजर व कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानकों की गुणवत्ता पर भी हमें विश्वास है। इन तथ्यों के आलोक में न्यूज रिपोर्ट पेश करने का समय संदिग्ध है और यह जानबूझकर किया गया है। हम इन रिपोर्टों को पूरी तरह से खारिज करते हैं।

ओसीसीआरपी का गठन जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड, नासिर अली शाबान अहली और चिंग चुंग लिंग ने किया है, जिनका कथित तौर पर अदाणी फैमिली के साथ कारोबारी गठजोड़ है और अदाणी समूह व गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी के नियंत्रण वाली कंपनियों में ये अधिकारी व शेयरधारक के तौर पर रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दोनों ने अदाणी समूह के शेयरों की खरीद फरोख्त विदेशी इकाइयों के जरिये करने और मे कई साल बिताए हैं और सवाल उठाया है कि क्या उन्होंने अदाणी समूह के प्रवर्तकों के बदले काम किया। रिपोर्ट में यह आरोप भी लगाया गया है कि उनके निवेश की प्रभारी कंपनी ने विनोद अदाणी की कंपनी को उन्हें सलाह देने के लिए रकम चुकाई। रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि क्या अदाणी समूह के आंतरिक लोगों ने इन इकाइयों का इस्तेमाल देश के न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों का उल्लंघन किया और कृत्रिम तरीके से शेयर कीमतें चढ़ाई।

अदाणी समूह ने इस रिपोर्ट को हिंडनबर्ग रिपोर्ट को बहाल करने की विदेशी मीडिया के एक वर्गों को सहयोग देने की एक और कोशिश बताया है। अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा कि ओसीसीआरपी के आरोपों में नई बात नहीं है। सेबी ने अदाणी समूह के खिलाफ ज्यादातर आरोपों पर रिपोर्ट सौंपी है। क्या नई रिपोर्ट उन्हें एक बार फिर जांच शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेगी, हमें इस पर नजर डालने की दरकार है। शेयरों में उतारचढ़ाव तब तक जारी रहेगा जब तक कि समूह इन आरोपों को गलत बताने के लिए स्पष्टीकरण नहीं देता। अब पूरा दारोमदार समूह पर है कि वह निवेशकों की संतुष्टि के लिए स्पष्टीकरण सामने रखे।

ओसीसीआरपी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के कुछ दिन पहले आई, जहां सेबी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जांच के अपने नतीजे पेश कर सकता है।

First Published : August 31, 2023 | 11:42 PM IST