रिलायंस कैपिटल (आरकैप) की परिसंपत्तियां बेचने की पहल को अच्छी प्रतिक्रिया मिली हैं। ओकट्री, जे सी फ्लावर और छह परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियां (एआरसी) सहित आठ इकाइयों ने आरकैप खरीदने में अपनी दिलचस्पी दिखाई है। ब्लैकस्टोन, केकेआर और बेन कैपिटल सहित दूसरी इकाइयां कंपनी की सामान्य बीमा इकाई खरीदने की होड़ में हैं, जबकि बंधन बैंक और डाबर इन्वेस्टमेंट ने जीवन बीमा कारोबार में रिलायंस कैपिटल की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
आरकैप के कर्जदाताओं को सलाह देने वालीं एसबीआई कैप्स और जे फाइनैंशियल को अब तक कंपनी की परिसंपत्तियों के लिए 60 से अधिक बोलियां मिली हैं। जिन कंपनियों ने अपनी दिलचस्पी जाहिर की है उन्हें पूरी कंपनी या इसकी परिसंपत्तियों के लिए बोली लगाने के लिए कहा जाएगा। दिलचस्प है कि डीएचएफएल की मौजूदा बिक्री प्रक्रिया में 24 कंपनियों ने अभिरुचि पत्र सौंपे थे, लेकिन केवल चार ने ही बोलियां लगाई थीं। एक कर्जदाता ने कहा कहा कि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के लिए क्राईस्कैप, जे सी फ्लावर, ब्लैकस्टोन, केकेआर, सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स और बेन कैपिटल सहित 18 बोलीदाताओं ने अभिरुचि पत्र सौंपे हैं। इस बीमा कंपनी पर आरकैप का 100 प्रतिशत नियंत्रण है।
रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरंस के लिए कर्जदाताओं को 16 बोलियां मिली हैं। रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरंस में आरकैप की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है। एक सूत्र ने कहा कि बेन कैपिटल, रेलिगेयर ब्रोकिंग, एडिलवाइस सिक्योरिटीज और कुछ एआरसी सहित 8 इकाइयों ने रिलायंस सिक्योरिटीज में दिचलस्पी दिखाई है।
रिलायंस एआरसी के लिए छह इकाइयों ने दिलचस्पी जाहिर की है, जिनमें बेन कैपिटल, इंटरनैशनल ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी और अन्य एआरसी शामिल हैं। रिलायंस हेल्थ में भी 8 इकाइयों ने रुचि दिखाई है। आईसीईएक्स और पेटीम ई-कॉमर्स में आरकैप की हिस्सेदारी खरीदने के लिए कई बोलीदाता सामने आए हैं।
रिलायंस कैपिटल की पिरसंपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया केमिटी ऑफ डिबेंचर होल्डर्स और डिबेंचर ट्रंस्टी विस्ट्रा आईसीसीएल इंडिया लिमिटेड ने शुरू की थी। रिलायंस कैपिटल पर कुल बकाया कर्ज में डिबेंचर ट्रंस्टी विस्ट्रा आईसीसीएल इंडिया लिमिटेड का हिस्सा 93 प्रतिशत है।
कंपनी का मूल्यांकन तय करने की प्रक्रिया 31 अक्टूबर को शुरू हुई थी और 1 दिसंबर को समाप्त हो गई। सितंबर 2020 तक रिलायंस कैपिटल पर संयुक्त तौर पर 26,869 करोड़ रुपये और अकेले इस पर 17,446 करोड़ रुपये कर्ज था। कंपनी द्वारा कर्ज भुगतान में असफल रहने के बाद इसके कर्जदाताओं ने बिक्री की प्रक्रिश शुरू कर दी थी।
