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वायदा पर मतभेद दूर करने की कोशिश होगी आज

Last Updated- December 05, 2022 | 11:02 PM IST

वायदा कारोबार पर अभिजीत सेन समिति की बुधवार को एक बैठक होगी, जिसमें मसौदे की सिफारिशों पर उभरे मतभेदों को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे।


सेन समिति के एक सदस्य शरद जोशी ने बताया ” मैं एक असहमति पत्र देने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अध्यक्ष ने मसौदे को अंतिम रूप प्रदान करने के लिए कल एक बैठक बुलाई है।” उन्होंने कहा ” अध्यक्ष महोदय सभी मतभेदों को दूर करने की कोशिश करेंगे और एक नया मसौदा उभर सकता है जिसमें उम्मीद है कि मामूली असहमति भी नहीं होगी।”


गौरतलब है कि केंद्र योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन की अध्यक्षता में गठित समिति की रपट का इंतजार कर रही है और अगर सरकार को निर्धारित समय में रपट नहीं मिलती तो वह वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने या नहीं लगाने के संबंध में निर्णय ले सकता है। दूसरी ओर जोशी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 27 अप्रैल तक सेन कमेटी की रिपोर्ट आने की संभावना है।


उन्होंने यह भी कहा कि सेन कमेटी पर वायदा कारोबार पर रोक  लगाने का पूरा दबाव है। और इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सरकार अपनी सहयोगी पार्टियों के दबाव में आकर वायदा कारोबार पर रोक लगा दे। जोशी ने कहा कि मसौदे की सिफारिशों में भारतीय जिंस बाजार को अंतरराष्ट्रीय रुख से अलग करने के मुद्दे पर विवाद का एक बिंदु है खासकर ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं।


उन्होंने कहा ” मसौदे में दावा किया गया है कि गेहूं के वायदा कारोबार प्रतिबंध लगाए जाने से केंद्र सरकार गेहूं की घरेलू कीमतों को अंतरराष्ट्रीय कीमतों से अलग रखने में सफल रही।


मसौदे में निकाला गया यह निष्कर्ष मुझे तार्किक नहीं लगता” जोशी ने कहा गेहूं के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी कीमतों पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए गए जिसमें ऊंची कीमतों पर गेहूं का आयात और भंडारण पर पुलिस की दबिश शामिल है। मसौदे के मुताबिक फरवरी 2007 से फरवरी 2008 के बीच गेहूं की कीमतें सौ फीसदी तक बढ़ गई है।

First Published - April 23, 2008 | 12:10 AM IST

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