Wheat stock limit: केंद्र सरकार ने जमाखोरी रोकने और गेहूं के दाम नियंत्रित करने के लिए तत्काल प्रभाव से गेहूं पर भंडारण सीमा लगा दी है, जो 31 मार्च, 2025 तक प्रभावी रहेगी। इससे पहले सरकार ने पिछले सप्ताह चना, काबुली चना और अरहर पर भंडारण सीमा लगाई थी। सरकार ने आज यह भी कहा कि वह कीमत पर अंकुश लगाने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करने के लिए तैयार है। इनमें आयात शुल्क की समीक्षा भी शामिल है। इस समय गेहूं के आयात पर 40 फीसदी शुल्क लगता है। उपकर व अधिभार मिलाकर कुल शुल्क करीब 44 फीसदी बैठता है।
केंद्र सरकार द्वारा भंडारण सीमा लगाने के लिए जारी अधिसूचना के मुताबिक थोक कारोबारी 3,000 टन और प्रत्येक खुदरा कारोबारी अपनी दुकान पर 10 टन गेहूं रख सकता है। बड़ी खुदरा श्रृंखला के आउटलेट पर 10 टन और उनके सभी गोदामों में 3,000 टन तक गेहूं का भंडारण करने की अनुमति दी गई है।
जहां तक आटा मिलों का सवाल है तो वे वर्ष 2024-25 के बाकी महीनों में अपनी स्थापित मासिक क्षमता के 70 फीसदी तक गेहूं का भंडारण कर सकती हैं। फिलहाल जिनके पास तय सीमा से अधिक गेहूं का भंडार है उन्हें सरकार ने 30 दिन के भीतर भंडार को निर्धारित सीमा के दायरे में लाने का निर्देश दिया है।
सरकार ने सभी संस्थाओं को अपने स्टॉक की स्थिति घोषित करने और इसे खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर नियमित रूप से अपडेट करने का आदेश भी दिया है।
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि देश में गेहूं की कोई किल्लत नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास पर्याप्त गेहूं का भंडारण है। इस साल गेहूं का शुरुआती स्टॉक 75 लाख टन था, जो पिछले साल 1 अप्रैल को 82 लाख टन था। तकनीकी तौर पर इस साल की शुरुआत में गेहूं का स्टॉक 7 लाख टन कम था। मगर अब तक करीब 266 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जो पिछले साल की खरीद से 4 लाख टन ज्यादा है। इस तरह गेहूं की कुल उपलब्धता पिछले साल से महज 3 लाख टन कम है। इसलिए देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है।
चोपड़ा ने कहा कि इसके बाद भी जमाखोरी और अटकलबाजी रोकने के लिए गेहूं पर भंडारण सीमा लगाई गई है। उन्होंने यह भी कहा कि गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध और चावल निर्यात पर लगे अंकुश को हटाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल गेहूं और आटे के भाव 2 रुपये तक बढ़ चुके हैं। 20 जून को गेहूं की औसत खुदरा कीमत 30.99 रुपये प्रति किलो और आटे की 36.13 रुपये प्रति किलो थी। पिछले साल 20 जून को गेहूं का औसत भाव 28.95 रुपये प्रति किलो और चावल का 34.29 रुपये प्रति किलो था।
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि पिछले सप्ताह अरहर पर भंडारण सीमा लगाने का असर इसकी कीमत 50 से 200 रुपये की कमी के रूप में दिखने लगा है। उन्होंने प्याज के बारे में कहा कि सरकार के पास प्याज का भी पर्याप्त स्टॉक है और आगे अच्छे मॉनसून के आसार हैं, जिससे प्याज का रकबा भी बढ़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमने चालू खरीफ सीजन में 3.53 लाख हेक्टेयर भूमि में प्याज की बोआई का लक्ष्य रखा है, जो पिछले खरीफ सीजन के 2.85 लाख हेक्टेयर से अधिक है।’