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कुछ महीनों के बाद होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार को गन्ने के लिए राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 20 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया। इस संबंध में निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद बैठक में लिया गया।
चीनी उद्योग और गन्ना विकास विभाग के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि गन्ने के दाम में 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। अगेती किस्म की कीमत अब 370 रुपये प्रति क्विंटल होगी जबकि सामान्य किस्म का दाम 360 रुपये होगा। अबतक गन्ने की अगेती किस्म का खरीद मूल्य 350 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य किस्म का खरीद मूल्य 340 रुपये प्रति क्विंटल था। उन्होंने कहा कि पिछले छह साल में योगी आदित्यनाथ सरकार ने गन्ना मूल्य में 55 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है।
2017 में गन्ने की कीमत 315 रुपये प्रति क्विंटल थी। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में राज्य में चीनी मिलें बंद होने के कगार पर थीं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 42 लाख परिवार हैं जो गन्ने की खेती करते हैं और 45 लाख मजदूर इस काम में लगे हैं।
2022 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश सरकार ने गन्ने के एसएपी में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी, जिसके बाद संशोधित कीमत बढ़कर 350 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस बीच, सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने इसे अपर्याप्त बताया। मुज़फ़्फ़रनगर के पास सिसौली में भाकियू मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि गन्ना मूल्य की घोषणा किसानों के लिए स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि बढ़ोतरी अपर्याप्त है और राज्य में उपज की लागत बढ़ गई है। उन्होंने राज्य सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है और मांग की है कि गन्ने के लिए 450 रुपये प्रति क्विंटल की दर तय की जाए। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब में गन्ने की कीमत उत्तर प्रदेश से ज्यादा है।