खाने-पीने की चीजों की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी के मद्देनजर भारतीय खाद्य निगम ने दावा किया है कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए भारत के पास गेहूं और चावल का पर्याप्त भंडार है।
इस तरह महंगाई की दर को काबू में करने के लिए एफसीआई ने सरकार को निगम के पास मौजूद स्टॉक बाजार में उतारने का संकेत दे दिया है।भारतीय खाद्य निगम के चेयरमैन आलोक सिन्हा ने कहा कि भारत के पास फिलहाल 220 लाख मीट्रिक टन चावल और 55 लाख टन गेहूं का भंडार है। जनवितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत गरीबों को बांटने के लिए सरकार को 122 लाख टन चावल और 40 लाख टन गेहूं की जरूरत होती है।
उधर, वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि सरकार गेहूं की कीमत पर काबू पाने के लिए कदम उठा सकती है क्योंकि दूसरी वस्तुओं के साथ इसकी कीमत भी आसमान छू रही है। ऊपर से अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका ने इसे और झटका दिया है।
एफसीआई के चेयरमैन आलोक सिन्हा ने कहा कि देश में अनाज का पर्याप्त भंडार है। पीएम मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार ने गेहूं, चावल आदि के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है और घरेलू बाजार में इसकी सप्लाई और बेहतर करने के लिए चीन, मलयेशिया और इंडोनेशिया से संपर्क साधा है। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में चावल की कीमत लगभग दोगुनी हो गई है और इसने एशियाई देशों में खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
दुनिया के सबसे बड़े चावल खरीदार देश फिलिपींस कालाबाजारी पर अंकुश लगा रहा है जबकि चीन, वियतनाम और इजिप्ट के बड़े निर्यातक सप्लाई को बाधित कर रहे हैं।एक साल पहले चावल की कीमत प्रति 100 पाउंड 10 डॉलर के स्तर पर थी जबकि अब यह बढ़कर 20.17 डॉलर पर पहुंच गई है। इस दौरान गेहूं की कीमत 4.58 डॉलर से 9.945 डॉलर पर आ गई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमत के चलते ही भारतीय सरकार ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 19 फीसदी का इजाफा करते हुए इसे 1000 रुपये प्रति 100 किलोग्राम कर दिया है। मार्च व अप्रैल में गेहूं की कटाई होती है और इस सीजन केकुल अनाज उत्पादन में इसका योगदान 73 फीसदी का होता है। इस साल एफसीआई ने करीब 150 लाख टन गेहूं खरीदने की योजना बनाई है। वैसे भारत ने घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पिछले साल 18 लाख टन गेहूं का आयात किया था।