ट्रंप शुल्क का असर भारत के झींगा क्षेत्र पर लगातार नजर आ रहा है, भले ही इसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। व्यापार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि प्रमुख झींगा निर्यात केंद्रों में अनिश्चितता के कारण झींगा की कीमत में आई गिरावट की आंशिक भरपाई के लिए झींगा फीड विनिर्माताओं ने मछुआरों के लिए अपने उत्पाद की कीमतें 4 रुपये किलो कम कर दी है।
कारोबारियों ने कहा कि इसकी वजह से अब वन्नामेई झींगा (अमेरिका को निर्यात की जाने वाली सबसे लोकप्रिय किस्म) के दाने की 25 किलो की बोरी की कीमत 2,667 से 2,701.75 रुपये के बीच होगी, जो ग्रेड पर निर्भर है। वहीं टाइगर झींगा के दाने की 25 किलो की बोरी की कीमत 2,947 से 2,995 रुपये होगी।
कुछ अन्य जाने माने ब्रांडों की 25 किलो की बोरी की कीमत 3,647.75 से 3,672.75 रुपये हो गई है, जो उसके विभिन्न ग्रेड पर निर्भर है।
भारत के पशुधन क्षेत्र की संस्था कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएलएफएमए) के अध्यक्ष दिव्य कुमार गुलाटी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अमेरिका को निर्यात को लेकर असमंजस की स्थिति है। इसकी वजह से प्रसंस्करणकर्ताओं द्वारा झींगा की खरीद कीमत में गिरावट आई है। इसे देखते हुए दाना बनाने वाले उत्पादकों ने भी अपने दाम कम कर दिए हैं, ताकि मछुआरों को कुछ राहत मिल सके।’
यह राहत ऐसे समय मिली है, जब झींगा उत्पादन का सीजन अपने चरम पर है। अमेरिका द्वारा 26 प्रतिशत कर लगाए जाने के बाद भारत के वन्नामेई झींगे की कीमत करीब 30 से 50 रुपये किलो कम हो गई है। अमेरिकी शुल्क सहित अन्य करों के कारण भारतीय झींगे की कीमत करीब 40 प्रतिशत बढ़ गई है, जिससे मांग में कमी आई है। शुल्क लगाए जाने के पहले 20-50 काउंट (जिसका निर्यात अमेरिका को होता है) झींगे की कीमत 470 से 350 रुपये प्रति किलो के बीच थी।
वित्त वर्ष 2024 में भारत ने करीब 2.3 अरब डॉलर के झींगे का निर्यात अमेरिकी बाजारों में किया है। यह अमेरिका को भारत से किए गए कुल समुद्री खाद्य निर्यात के 90 प्रतिशत से ज्यादा है। कारोबार के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में हुए कुल झींगा निर्यात में मूल्य के हिसाब से 66 प्रतिशत झींगा अमेरिका भेजा गया।