दिन-दूना रात-चौगुना बढ़ रहा जैविक खेती का कारोबार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 8:06 AM IST

देश में जैविक खेती का रकबा महज 5 सालों में ही 7 गुना से अधिक हो गया है।


जैविक खेती और इसके उत्पादों की मार्केटिंग करने वालों के संगठन इंटरनैशनल कांपिटेंट सेंटर फॉर ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर (आईसीसीओए) के मुताबिक, 2007-08 में इसका रकबा 15 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इतना ही नहीं जैविक उत्पादों का निर्यात भी इस दौरान चार गुना से ज्यादा हो गया है।

हाल यह कि 2003 में इसका निर्यात महज 73 करोड़ रुपये का था, पर अब वह 300 करोड़ रुपये की सीमा के पार चला गया है। आईसीसीओए का तो अनुमान है कि अगले 5 सालों में जैविक क्षेत्र की तरक्की 6 से 7 गुनी हो जाएगी।

इस चलते, 2012 तक जैविक उत्पादों का निर्यात बढ़कर 2,500 करोड़ रुपये हो जाएगा। परिणामस्वरूप उस समय तक जैविक उत्पादों के वैश्विक बाजार में देश की हिस्सेदारी मौजूदा 0.2 फीसदी से बढ़कर 2.5 फीसदी हो जाएगा।

रकबा की बात करें तो आईसीसीओए का अनुमान है कि 2007-08 सीजन की समाप्ति तक यह 2003 में 73,000 हेक्टेयर से बढ़कर 5,38,000 हेक्टेयर हो गया है।

महत्वपूर्ण चीज यह कि 2012 के आखिर तक इसमें और 4 गुनी बढ़ोतरी का अनुमान जताया गया है। केंद्र के मुताबिक, 2012 तक देश में जैविक खेती का रकबा 20 लाख हेक्टेयर की सीमा को पार कर जाएगा। अनुमान है कि इस समय पूरे विश्व में जैविक खेती का दायरा 3.04 करोड़ हेक्टेयर तक फैला है।

वर्तमान में जैविक उत्पादों का सालाना वैश्विक कारोबार करीब 38.6 अरब डॉलर का है। 2000 में 18 अरब डॉलर के कारोबार की तुलना में यह दोगुने से भी ज्यादा है। जैविक उत्पादों की मांग में हो रही लगातार वृद्धि के मद्देनजर उम्मीद है कि इस क्षेत्र की विकास गति आने वाले सालों में एक बार फिर रफ्तार पकड़ेगी।

आईसीसीओए के कार्यकारी निदेशक मनोज कुमार मेनन के मुताबिक, ”जैविक खाद्य पदार्थ हमेशा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं, क्योंकि इसके अंदर कीटनाशकों की उपस्थिति न के बराबर होती है। इसके अलावा ये भोज्य पदार्थ स्वाद और गुणवत्ता के मामले में भी काफी बेहतर होते हैं।”

परिणामस्वरूप दुनिया भर में ज्यादा से ज्यादा लोग अब जैविक भोज्य पदार्थों का रुख कर रहे हैं। हालांकि आईसीसीओए का मानना है कि भारत में जैविक खेती को अभी भी तमाम बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

इन बाधाओं में विश्वसनीय शोध और विकास की सुविधाओं का अभाव होना शामिल है। इसके अलावा, तकनीकी रूप से मजबूत और सफल व्यावसायिक कारोबारी मॉडलों का यहां अभाव है। दुनिया के कई देशों में पिछले दो दशकों से जैविक खेती फैशन की तरह फैला है।

जैविक खेती और परंपरागत खेती में उत्पादकता, उत्पाद गुणवत्ता और खेती की लागत के लिहाज से कौन बेहतर है, इसके लिए अब तक कोई भी योजनाबद्ध और तुलनात्मक अध्ययन नहीं हो सका है।

हालांकि, कुछ राज्यों में जहां रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग काफी कम है, ने खुद को जैविक खेती वाले राज्य के रूप में घोषित करना शुरू कर दिया है। हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित इंडिया ऑर्गेनिक ट्रेड फेयर-2008 में असम को ‘ऑर्गेनिक स्टेट ऑफ द ईयर’ घोषित किया गया।

इसका आयोजन संयुक्त रूप से आईसीसीओए, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण और अंतरराष्ट्रीय जैविक खेती प्राधिकरण ने किया था। इस मेले में देश और विदेश के 200 से ज्यादा जैविक उत्पादों की कारोबारी संस्थाओं ने शिरकत की।

First Published : December 9, 2008 | 11:04 PM IST