उधार लेने में चीनी मिलों को आ सकती है दिक्कतें

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 12:42 AM IST

राज्य सरकार द्वारा गन्ने के लिए तय की गई कीमतों (एसएपी) के कारण वर्तमान वित्तीय संकट से चीनी कंपनियों के कार्यशील पूंजी पर प्रभाव पड़ने की संभावना काफी कम है।


हालांकि, अगर एसएपी में बढ़ोतरी की जाती है, जैसी अपेक्षा उद्योग को है, तो इससे उधार लेने की क्षमता कम हो सकती है और फिर मिलों को कार्यशील पूंजी में कमी का सामना करना पड सकता है।

हालांकि, एक विचारधारा इस बात की संभावना जताती है कि जिंसों की कमजोर धारणाओं के कारण मिलों को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से उधारी लेने में कठिनाइयां हो सकती है। एक औद्योगिक अधिकारी ने कहा कि मिलों के शेयरों का ठीक-ठीक मूल्यांकन नहीं हो सकता और इसलिए उनके परिचालन पर प्रभाव पड़ सकता है।

कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने वैधानिक न्यूनतम मूल्य (एसएमपी) की समीक्षा की संभावना से इनकार किया और कहा कि एसएपी को बढ़ाया जा सकता है। आमतौर पर, चीनी बनाने वाली कंपनियां पेराई शुरू होने से एक महीने पहले बैंकों से संपर्क करती हैं।

अगले महीने से गन्ने की पेराई शुरू होने वाली है और बैंक से कोष के लिए संपर्क करने से पहले मिलों को केंद्र सरकार के निर्णय का इंतजार है। भारत के लगभग सभी उद्योग वैश्विक वित्तीय संकट का प्रभाव झेल रहे हैं और इसलिए इस बात की संभावना अधिक है कि नकदी की कमी से जूझ रहे चीनी उद्योग को साल 2008-09 के पेराई सीजन के दौरान कार्यशील पूंजी में कमी का सामना करना पड़ सकता है।

चीनी उद्योग साल भर में केवल 5 से 6 महीने चलता है इसलिए उसके सभी मशीनों को अच्छे रख-रखाव की जरूरत होती है। इसके अतिरिक्त बॉयलर को चलाने के लिए भी कोष चाहिए होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गन्ना के कम उत्पादन की खबरों से चीनी मिलों को इस साल थोड़ी राहत मिली है।

उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार पिछले साल की कम कीमतों के कारण उनके पास लगभग 100 लाख टन का भंडार है। लेकिन इस साल उत्पादन कम होने से उद्योग का अनुमान है कि पिदले साल के घाटे की भरपाई हो जाएगी।

एसएपी राज्य सरकारों द्वारा तय की जाती है जो केंद्र सरकार के एसएमपी की तुलना में प्राय: अधिक होती है। चीनी मिल राज्यों में एसएपी के अनुसार ही किसानों को गन्ने की कीमत का भुगतान करते हैं।

ऐसा अनुमान है कि देश में गन्ने के उत्पादन में कम से कम 18 से 20 प्रतिशत की कमी आएगी। महाराष्ट्र में गन्ने के उत्पादन में लगभग 35 प्रतिशत कमी आने की संभावना है (761.74 लाख टन से घट कर 500 लाख टन) क्योंकि किसानों ने गन्ने की जगह इस बार दलहन और तिलहन की खेती का रकबा बढ़ाया है।

उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, साल 2009-09 की पेराई सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश में भी गन्ने की उपलब्धता 25 प्रतिशत घट कर 1,200 लाख टन हो सकती है जबकि पिछले साल यह 1,600 लाख टन था। अनुमान है कि उत्तर प्रदेश में इस सीजन में कुल 25 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई है।

First Published : October 17, 2008 | 10:56 PM IST