निर्यातकों की डॉलर बिक्री तथा विदेशी पूंजी निवेश के कारण मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती देखने को मिली। डीलरों ने यह जानकारी दी।स्थानीय मुद्रा 89.88 प्रति डॉलर पर बंद हुई। एक दिन पहले यह 90.07 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी। हालांकि कारोबारियों का कहना है कि अस्थायी राहत के बावजूद रुपये पर दबाव बना हुआ है क्योंकि बाजार अभी भी संरचनात्मक कमी का सामना कर रहा है, जहां डॉलर की मांग लगातार आपूर्ति से ज्यादा है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 0.2 फीसदी की बढ़त के साथ अपनी समकक्ष एशियाई मुद्राओं में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रही। इंडोनेशियाई रुपया 0.1 फीसदी की बढ़त के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, भारतीय रुपये ने दो दिनों की गिरावट को पीछे छोड़ते हुए उल्लेखनीय सुधार का प्रदर्शन किया है और अपने एशियाई समकक्षों के बीच सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अग्रणी मुद्रा के रूप में उभरा है। डॉलर में लॉन्ग पोजीशन खत्म होने से रुपये में यह मजबूती आई है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कम कीमतों और क्षेत्रीय मुद्राओं की मजबूती के कारण भी रुपये को सहारा मिला है।
उन्होंने कहा, इस वांछित राहत के बावजूद रुपया अभी भी संकट से बाहर नहीं निकला है क्योंकि बुनियादी असंतुलन बना हुआ है और डॉलर की मांग उसकी उपलब्ध आपूर्ति से ज्यादा बनी हुई है। तकनीकी रूप से हाजिर डॉलर-रुपये को 90.30 पर प्रतिरोध के अहम स्तर का सामना करना पड़ रहा है जबकि 89.70 पर उसे मजबूत समर्थन मिल रहा है।
चालू वित्त वर्ष में रुपये में अब तक 4.91 फीसदी की गिरावट आई है जबकि कैलेंडर वर्ष के दौरान इसमें 4.75 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। अब ट्रेडरों की नजर इस सप्ताह के अंत में होने वाली अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों पर है।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के एंकर निवेशकों और स्विगी के क्यूआईपी से मंगलवार को रुपया 89.8375 के उच्च स्तर पर पहुंच गया और फिर 90 के स्तर के करीब बंद हुआ। इस तरह यह सोमवार के बंद स्तर से थोड़ा ऊपर चढ़ा। व्यापार समझौते पर बातचीत और फेड की बैठक के साथ आरबीआई फिलहाल रुपये में गिरावट नहीं होने दे सकता है और 90.30 के स्तर को बरकरार रख सकता है।