रुपये में करीब एक महीने की सबसे तेज एक दिवसीय गिरावट आई है। डीलरों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का बाजार के मनोबल पर असर पड़ा। डॉलर सूचकांक में तेजी के कारण भी रुपये में नरमी आई। दिन के कारोबार में स्थानीय मुद्रा 0.47 प्रतिशत की गिरावट के साथ प्रति डॉलर 84.92 पर आ गई। अलबत्ता कारोबार के आखिर तक इसमें तब कुछ सुधार हुआ जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने संभवतः भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से डॉलर बेचे।
सरकारी बैंक के एक डीलर ने कहा, ‘डॉलर सूचकांक में तेजी थी और सीमा पर तनाव के कारण रुपया कमजोर हुआ। बैंकर 84.90 पर बिकवाली कर रहे थे।’ रुपया प्रति डॉलर 84.83 पर बंद हुआ जबकि इसका पिछला बंद भाव प्रति डॉलर 84.44 था।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ अनुसंधान विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘भू-राजनीतिक चिंताओं और डॉलर सूचकांक में मजबूती के बीच भारतीय रुपये में एक महीने में एक दिवसीय सबसे बड़ी गिरावट आई जो दूसरे दिन भी जारी रही। व्यापार तनाव कम होने से डॉलर में मजबूती आई है जिसका प्रमुख मुद्राओं पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। इसके अलावा तेल आयातकों और हेजर्स की लगातार डॉलर मांग ने पिछले दो दिनों के दौरान रुपये पर दबाव डाला है। अमेरिका-रुपये के हाजिर भाव में तेजी की उम्मीद है जो प्रति डॉलर 85 से ऊपर रहा तो 85.70 तक पहुंच सकता है। इसके विपरीत 84.25 पर मजबूत समर्थन है।’
भारत ने बुधवार को ऐलान किया कि पिछले महीने आतंकवादी हमले में 26 लोगों के मारे जाने के बाद उसने पाकिस्तान में आतंकवादियों के नौ अड्डों को निशाना बनाया है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों से पहले बुधवार को डॉलर सूचकांक 0.3 प्रतिशत बढ़कर 99.63 पर पहुंच गया। यह छह प्रमुख मुद्राओं की बास्केट के मुकाबले डॉलर की मजबूती का पैमाना है। देश में विकास की चिंताओं के बीच अमेरिकी दर तय करने वाली समिति से उम्मीद है कि वह दरों को अपरिवर्तित रखेगी।
दूसरी ओर भारत के बेंचमार्क 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल स्थिर रहा है। आरबीआई के सक्रिय तरलता उपायों की वजह से ऐसा हुआ है। इनमें ओपन मार्केट ऑपरेशन शामिल हैं। इससे बाजार के मनोबाल को मजबूती मिली है।