अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) ने अपने नए फसल अनुमान में कहा है कि 2023-24 में भारत में चावल का उत्पादन करीब 20 लाख टन घटकर 13.2 करोड़ टन रह सकता है। अगस्त में औसत से कम मॉनसूनी बारिश की वजह से खरीफ फसलों पर असर पड़ने के कारण धान (चावल) के उत्पादन में कमी आने का अंदेशा है। 2023-24 के उत्पादन में खरीफ, रबी और गर्मी के महीनों में पैदा होने वाले धान के उत्पादन को शामिल किया गया है।
खाद्यान्न उत्पादन के सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2022-23 सत्र में चावल का कुल उत्पादन 13.55 करोड़ टन रहने की उम्मीद जताई गई है। हालांकि यूएसडीए ने अपने ताजा अनुमान में कहा है, ‘अगस्त में मॉनसूनी बारिश औसत से कम होने की वजह से खरीफ फसलों पर असर पड़ा है जिसकी वजह से भारत में 2023-24 में चावल का उत्पादन 20 लाख टन घटकर 13.20 करोड़ टन रह सकता है।’
हालांकि यह अनुमान आधिकारिक आंकड़ों से मेल खाएगा या नहीं यह देखना बाकी है क्योंकि सरकर ने अभी खरीफ सफलों के लिए 2023-24 के अपने उत्पादन अनुमान जारी नहीं किए हैं। यूएसडीए रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 में दुनिया भर में चावल की खपत 2 लाख टन घटकर 52.27 करोड़ टन रह सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2023-24 में चावल का वैश्विक व्यापार 8 लाख टन कम होकर 5.22 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
भारत से चावल के निर्यात में कमी की आंशिक भरपाई थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका के ज्यादा निर्यात से हो सकती है।
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रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत सरकार ने उसना चावल पर निर्यात कर और बासमती के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य के साथ चावल निर्यात पर कहीं अधिक प्रतिबंध लगा दिया है।’
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2023-24 में वैश्विक स्तर पर चावल का अंतिम स्टॉक 16.76 करोड़ टन होगा जो 42 लाख टन कम है। इसमें अधिकांश गिरावट भारत की वजह से होगी। खरीफ फसलों की बोआई के ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में मॉनसून की बारिश दोबारा शुरू होने के कारण धान के रकबे में काफी सुधार हुआ है।
आंकड़ों से पता चलता है कि 8 सितंबर तक इस खरीफ सत्र में धान का रकबा एक साल पहले के करीब 4.034 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले लगभग 2.7 फीसदी अधिक है। यह धान के करीब 3.99 करोड़ हेक्टेयर के सामान्य रकबे (पिछले पांच वर्षों के औसत के मुकाबले) से भी अधिक है।