पाम ऑयल पर आयात कर कम करने का कोई खास प्रभाव नारियल तेल उद्योग पर नहीं पड़ेगा।
यह बताते हुए स्थानीय तेल व्यापारी संगठन और कोचीन तेल व्यापारी संगठन (कोमा) ने उम्मीद जताई है कि बिकवाली के दबाब केचलते उत्पादन और मांग में तेजी का रुख बरकरार रहेगा और पाम ऑयल से आयात कर कम करने केबावजूद इसके कारोबार पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। आगे उनका कहना था कि गत दो और तीन सालों के दौरान नारियल तेल की खपत में 25 से 30 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है।
हालांकि मौजूदा वक्त में नारियल का मौसम नहीं होने और बेमौसम बरसात होने केकारण नारियल की आपूर्ति कम हुई है। लिहाजा, सप्लाई में इजाफे की उम्मीद मई के पहले हफ्ते के बाद से होने की उम्मीद है। कोमा के मुताबिक कोच्ची तेल की कीमत 5900 रुपये प्रति क्विंटल जबकि त्रिसुर में 5850 रुपये प्रति क्विंटल और कोझीकोड में 5825 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
दूसरी ओर मीलिंग नारियल की कीमतें 4000 रुपये से 4050 रुपये प्रति क्विंटल रहीं। बावजूद इसके पाम ऑयल की कीमतें नारियल तेल के मुकाबले ज्यादा हैं। ऐसा इसकी खपत ज्यादा रहने केकारण हैं।
मालूम रहे कि पाम ऑयल की खपत ज्यादातर बायोफ्यूल के लिए होता है लिहाजा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में नारियल तेल की आवक ज्यादा होने से पाम ऑयल कीमतों में नरमी आ सकती है। मालूम हो कि इस वक्त देश से नारियल तेल का निर्यात बेहद कम है। खाड़ी देशों को इसका निर्यात महज 250 से 300 टन है।