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बारिश से दालों की कीमतों में स्थिरता

उड़द और मसूर को छोड़कर अन्य दालों की कीमतों में स्थिरता देखी जा रही है।

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- September 14, 2023 | 11:01 PM IST

दालों के भाव लगातार बढ़ने के बाद अब नरम पड़ गए हैं। उड़द और मसूर को छोड़कर अन्य दालों की कीमतों में स्थिरता देखी जा रही है। इसकी वजह सितंबर महीने से महाराष्ट्र और कर्नाटक के प्रमुख दलहन उत्पादक क्षेत्रों में बारिश फिर शुरू होना है। साथ ही आयात में बढ़ोतरी की उम्मीद से भी इन दालों के भाव स्थिर होने के संकेत मिल रहे हैं।

चना के भाव बीते कुछ सप्ताहों से लगातार बढ़ रहे थे। लेकिन सरकारी स्टॉक से चना बाजार में उतारने के बाद पिछले महीने के अंत से चना के भाव करीब 3 फीसदी घट चुके हैं। हालांकि बाजार जानकारों को दाल की कीमतों के मामले में अनुकूल परिस्थितियों के लंबे समय तक बने रहने को लेकर आशंका है क्योंकि अरहर और उड़द की कुल बोआई पिछले साल की तुलना में कम है, जबकि आगे आगे त्योहारी मांग आने वाली है।

आईग्रेन इंडिया में जिंस विश्लेषक राहुल चौहान ने बताया कि मांग व आपूर्ति के दबाव में कुछ समय तक दालों के भाव घटते-बढ़ते रहेंगे। जहां एक ओर त्योहारों के कारण मांग बढ़ सकती है, वहीं 3 से 4 लाख टन उड़द व तुअर के आयात और नई फसल की कटाई के कारण आपूर्ति में भी सुधार होने की उम्मीद है। देश में 8 सितंबर तक 119.90 लाख हेक्टेयर में दलहन की बोआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि की तुलना में 8.54 फीसदी कम है।

इस कमी की वजह दलहन उत्पादक राज्य कर्नाटक व महाराष्ट्र में कम बारिश होना है। हालांकि इस बीच भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अपने नवीनतम पूर्वानुमान में कहा कि 14 और 15 सितंबर को पूर्वी भारत में , मध्य भारत में 14 से 17 सितंबर तक और पश्चिम भारत में 15 से 18 सितंबर तक मॉनसून सक्रिय होने की संभावना व्यक्त की है।

इस बीच, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने आज कहा कि सोयाबीन के उत्पादक इलाकों के अधिकांश हिस्से में हाल ही में हुई बारिश के बाद फसल की कुल स्थिति सामान्य है। सोयाबीन के कुल रकबा का करीब 15 फीसदी हिस्से में 15 से 20 दिन तक सूखे के परिणामस्वरूप नमी की कमी हो गई। हल्की और रेतीली मिट्टी में कुछ फसल को नुकसान संभव है।

दाने का आकार छोटा रहने और खराब फली निर्माण के कारण इस क्षेत्र में उत्पादकता प्रभावित हो सकती है। उच्च तापमान के कारण मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में कीड़ों, कीटों और बीमारियों से उपज में कुछ कमी आ सकती है। फसल की कुल मिलाकर स्थिति सामान्य है और फिलहाल फसल को कोई बड़ा नुकसान नहीं दिख रहा है। हालांकि नई फसल आने में 10 से 15 दिन की देरी हो सकती है।

First Published : September 14, 2023 | 11:01 PM IST