फिर ढलान पर आईं प्राकृतिक रबर की कीमतें

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 2:05 AM IST

प्राकृतिक रबर का बाजार एक बार फिर मंदड़ियों की चपेट में है।


सोमवार को प्राकृतिक रबर के बेंचमार्क ग्रेड आरएसएस-4 की कीमत 88 रुपये प्रति किलो तक नीचे उतर आई जबकि बिना ग्रेड वाली शीट की कीमत 82 रुपये प्रति किलो पर जा गिरी।

इस सीजन में 84 रुपये प्रति किलो के निचले स्तर को छू चुकी रबर की कीमत पिछले हफ्ते खरीदारी के चलते 90 रुपये प्रति किलो पर पहुंची थी। ये खरीदारी इसलिए जोर पकड़ पाई थी क्योंकि व्यापारियों ने काफी पहले सौदे तय कर लिए थे और हर हालत में ऐसा होना ही था।

लेकिन इस हफ्ते रबर का बाजार निराशावादी दौर में प्रवेश कर गया है और रबर की कीमत 80 रुपये से भी नीचे गिर जाने का खतरा मंडरा रहा है। फिलहाल रबर का बाजार इसलिए इस स्तर पर टिका हुआ है क्योंकि उत्पादक कम कीमत पर माल बेचने का राजी नहीं हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि उत्पादकों का ये रवैया ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा क्योंकि यह उत्पादन का मुख्य सीजन है। बाजार के सूत्रों का कहना है कि अक्टूबर से जनवरी केदौरान कुल 4 लाख टन रबर के उत्पादन की उम्मीद है, जो रबर के सालाना उत्पादन का करीब 45 फीसदी बैठता है।

इतने उत्पादन के बावजूद बाजार में माल नहीं उतारना उत्पादकों के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मंदी के चलते रबर से जुड़ी इंडस्ट्री खासकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री खासी प्रभावित होने वाली है। चीन से खबर मिली है कि ओलंपिक के बाद वहां रबर की मांग में खासी कमी आई है और रबर के आयातक डिफॉल्टर साबित हो रहे हैं और यह लगातार जारी है।

इसी वजह से थाइलैंड और इंडोनेशिया ने चीने केसाथ रबर का कारोबार काफी कम कर दिया है क्योंकि भुगतान न किए जाने की काफी शिकायतें मिली हैं। ऐसे में प्राकृतिक रबर के बाजार में मंदी के साफ संकेत मिल रहे हैं और नतीजे के तौर पर रबर की कीमत और नीचे आने की आशंका गहराती जा रही है। विशेषज्ञ के मुताबिक ऐसे समय में इस उम्मीद में स्टॉक बनाए रखना कि कीमतें बढ़ेंगी, मुर्खता के सिवा कुछ और नहीं है।

भारतीय टायर उद्योग देश के कुल रबर उत्पादन का 45 फीसदी खपत करता है। फिलहाल यह उद्योग रबर की ज्यादा खरीदारी में दिलचस्पी नहीं ले रहा यानी इसका स्टॉक बनाकर रखने से परहेज कर रहा है। पिछले हफ्ते रबर उद्योग ने 87 रुपये के भाव पर रबर खरीदने की इच्छा जताई थी, लेकिन तब भाव 91 रुपये प्रति किलो था।

इस बीच, अनुकूल मौसम की बदौलत केरल के विभिन्न उत्पादक क्षेत्रों में जोर-शोर से इसका उत्पादन हो रहा है। रात में तापमान काफी कम होने के कारण रबर के उत्पादन में काफी सहायता मिल रही है और अगले कुछ महीने में उत्पादन और जोर पकड़ेगा।

रबर बोर्ड का अनुमान है कि इस सीजन में 3.92 टन रबर का उत्पादन होगा, लेकिन व्यापारी समुदाय को लगता है कि रबर का उत्पादन आसानी से 4 लाख टन को पार कर जाएगा। दोनों ही स्थिति में रबर का उत्पादन गिरने की संभावना नहीं है, ऐसे में अगले 10-12 हफ्ते तक इसकी कीमतें निचले स्तर पर ही रहेंगी।

First Published : November 3, 2008 | 10:19 PM IST