मंदी से घटा लौह-अयस्क का निर्यात

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 9:51 PM IST

वैश्विक मंदी की वजह से लौह-अयस्क के निर्यात पर खासा असर पड़ सकता है।
विश्लेषकों के मुताबिक इस्पात के उत्पादन में खास भूमिका निभाने वाले इस अयस्क का उत्पादन और निर्यात वैश्विक उपभोक्ता उद्योगों की तरफ से मांग में कमी के कारण 25 फीसदी तक लुढ़क सकता है।
भारत में पिछले वित्त वर्ष में 23.60 लाख टन लौह अयस्क का उत्पादन किया था लेकिन अब इसके कम होकर 19 लाख डॉलर रह जाने की संभावना है। वित्त वर्ष 2008-09 लौह अयस्क निर्माताओं के लिए काफी मिला-जुला रहा जिसमें पहली छमाही में ऑर्डर की भरमार रही।
लेकिन दूसरी छमाही, खासकर नवंबर से इसमें गिरावट आनी शुरू हो गई और यह शून्य के स्तर पर पहुंच गया। इसकी वजह कोरिया, जापान, यूरोप और अमेरिकी बाजारों, जहां भारत अपने कुल उत्पादन का 80-85 फीसदी तक निर्यात करता है, वहां मंदी के कारण स्थितियां काफी बदल गईं।
आश्चर्य की बात यह रही कि फरवरी से मांग में कुछ सुधार आया जो इस्पात और स्टेनलेस स्टील के उत्पादन के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी सुधार के संकेत देता है। नवंबर और फरवरी के बीच कारोबारी रूप से खस्ता समय में भारत में लौह-अयस्क निर्माताओं ने अपने उत्पादन को कम कर आधा कर दिया।
पहले से जमा लौह-अयस्क भंडार में बढोतरी होने से मौजूदा 150 फर्नेस ने अपनी दुकानों में ताला लगा दिया है और अपनी क्षमता में नाटकीय रूप से 30 फीसदी की कटौती कर दी है। हालांकि भारतीय लौह-अयस्क निर्माता महांसघ (आईएफएपीए) के महासचिव टी एस सुदर्शन ने कहा कि कि अब वे धीरे-धीरे अपने कारोबार में तेजी ला रहे हैं।
सुदर्शन ने कहा कि क्षमता के उपभोग में बढ़ोतरी की गई है और इसे जनवरी के 35 फीसदी के स्तर से बढ़ाकर 60 फीसदी के स्तर पर कर दिया गया है। पिछले साल भारत ने 9 लाख टन लौह-अयस्क का निर्यात किया था जिसमें फेरो मैगनीज, फेरो क्रोम और सिलिको मैगनीज शामिल है।
इस साल शिपमेंट में गिरावट आने की संभावना है कि क्योंकि यूरोप में स्टील और स्टेनलेस स्टील निर्माताओं ने उत्पादन में 30 फीसदी तक की कमी करने का फैसला किया है। खासकर, दक्षिण अफ्रीका जो स्टेनलेस स्टील के उत्पादन में काम आने वाले फेरो क्रोम का आवश्यकता से अधिक भंडारण कर लिया है।
हाल में ही  करीब 75-80 फीसदी फर्नेस को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया है।एक बड़े घटनाक्रम के तहत कच्चे पदार्थों का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले देश चीन ने अधिकांश लौह-अयस्क पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लागू कर दिया है जिसमें फेरो सिलिकन (25 फीसदी) और 75 फीसदी मिन ग्रेड फेरो-वेनेडियम (0 फीसदी) अपवाद हैं।
इससे भारतीय लौह-अयस्क निर्माताओं को यूरोप, कोरिया, अमेरिका और दूसरे बाजारों पर कब्जा जमाने का अवसर मिल सकता है। वर्ष 2008 में चीन ने 3,026,322 टन लौह-अयस्क का निर्यात किया जो 2007 के मुकाबले 5.71 फीसदी कम है। जनवरी 2009 में चीन के लौह-अयस्क के निर्यात में 68.7 फीसदी की गिरावट आई।
मांग हुई कम
मांग में कमी से 25 प्रतिशत तक कम हो सकता है निर्यात
भारत अपने कुल उत्पादन का 80-85 फीसदी करता है निर्यात
कोरिया, जापान, यूरोप और अमेरिका में घट गई है मांग

First Published : March 28, 2009 | 5:23 PM IST