Rupee Record Low: भारतीय रुपया लगातार पांचवें दिन कमजोर होकर मंगलवार, 2 दिसंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89.97 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले रुपये का सबसे निचला स्तर 89.79 था, जिसे आज पार कर लिया गया। मंगलवार को रुपया 89.70 पर खुला, लेकिन ट्रेडिंग के दौरान फिसलकर सीधा 89.97 तक चला गया। यह पिछले बंद भाव 89.53 की तुलना में 44 पैसे की गिरावट है।
रुपये पर दबाव बढ़ने की मुख्य वजह कॉरपोरेट कंपनियों, आयातकों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) द्वारा बढ़ी हुई डॉलर की मांग मानी जा रही है। इसके साथ ही डॉलर की मजबूती, विदेशी निवेश का बाहर जाना और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी रुपये को कमजोर कर रहे हैं।
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापता है, आज सुबह 11:30 बजे 99.43 पर ट्रेड हो रहा था। वहीं, ब्रेंट क्रूड की कीमत वायदा बाजार में 0.05% बढ़कर 63.20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई।
यह भी पढ़ें: फेड दर कटौती की उम्मीदों से सोना-चांदी छह हफ्ते के शिखर पर, निवेशकों की खरीद बढ़ी
HDFC सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट दिलीप परमार ने रुपये की लगातार कमजोरी का कारण बढ़ता व्यापार घाटा, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी और केंद्रीय बैंक की सीमित दखलअंदाजी को बताया है। उन्होंने कहा कि व्यापार समझौते को लेकर बातचीत लंबे समय से चल रही है। कॉमर्स सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल ने 28 नवंबर को उम्मीद जताई थी कि इस साल ही एक शुरुआती व्यापार समझौता हो सकता है, जिससे भारतीय निर्यातकों को राहत मिलेगी। लेकिन ट्रंप प्रशासन के दौर में लगाए गए शुल्क अब भी अड़चन बने हुए हैं।
परमार के अनुसार, आने वाले दिनों में भी रुपये पर दबाव बना रह सकता है क्योंकि डॉलर की मांग और सप्लाई के बीच असंतुलन जारी है। शॉर्ट टर्म में डॉलर-रुपया एक्सचेंज रेट यानी USD/INR के लिए 89.95 रेजिस्टेंस और 89.30 सपोर्ट लेवल माना जा रहा है।
LKP सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (कमोडिटी और करेंसी रिसर्च) जतिन त्रिवेदी का भी कहना है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता बाजार की धारणा को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि चर्चा मजबूत दिशा में जरूर बढ़ रही है, लेकिन बाजार को अब किसी ठोस और अंतिम समझौते का इंतजार है। उन्होंने यह भी बताया कि नवंबर में आरबीआई द्वारा खास दखल न देने से रुपये को बिना रोक-टोक गिरने का मौका मिला।