पंजाब-हरियाणा बॉर्डर के शंभु हाइवे पर एक किसान नेता की माइक पर आवाज गूंजती है। वह अपने साथी प्रदर्शनकारियों से कहते हैं, ‘अगर आपको ठीक से नहीं पता कि हम प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं तो आप मीडिया से बात मत कीजिए।’
यहां पिछले 11 दिनों से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है और कुछ क्षण ऐसे भी देखने को मिले जब यहां काफी बवाल मचा। तीन दिन पहले ही खनौरी बॉर्डर पर 21 साल के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। प्रदर्शनकारी किसानों पर ड्रोन के जरिये आंसू गैस भी छोड़े जा रहे हैं।
पटियाला जिले के बप्रौर के सरपंच जगतार सिंह कहते हैं, ‘दो साल पहले दिल्ली में जो प्रदर्शन हुआ और अब जो हो रहा है उसमें अंतर केवल यह है कि इस बार हिंसा हो रही है। उस वक्त भी कई लोग शहीद हुए थे मगर उसकी वजह सीधी कार्रवाई नहीं थी। उस वक्त हमसे वादा किया गया था कि हमारी समस्याओं पर गौर किया जाएगा। लेकिन उन्होंने क्या किया? उन्होंने एक पैनल बनाया जिसमें उनके ही लोग हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अब तक कानूनी जामा नहीं पहनाया गया है।’
अमृतसर के एक किसान नेता अमरिंदर सिंह मालवा कहते हैं, ‘उन दिनों प्रदर्शन तीन विवादास्पद कानून वापस लिए जाने के लिए किए गए थे। इन कानूनों को वापस ले लिया गया और हमें कहा गया कि कुछ फसलों के लिए एमएसपी को वैध बनाया जाएगा। लेकिन चार साल बाद भी कुछ नहीं हुआ है।’
यहां किसानों ने अपने टेंट के बगल में ही लंगर लगाया है। जगतार ने कहा, ‘यहां जो खाना मिल रहा है वह पड़ोस के गांवों से आ रहा है। जो लोग इस प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बन पा रहे हैं वे खाना बनाकर और खाना भेजकर अपना समर्थन जता रहे हैं। जरा सोचिए कि हमारे लंगर पर भी आंसू गैस का गोला फेंका गया।’
करीब 8 किलोमीटर के धरनाप्रदर्शन स्थल के नजदीक 500-500 मीटर की दूरी पर लंगर लगाए गए हैं। किसानों ने सड़क का एक हिस्सा रोजाना आने-जाने वाले लोगों के लिए खाली छोड़ा है ताकि उन्हें कोई दिक्कत न हो।
दो साल पहले सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन के दौरान महिलाओं की भागीदारी खूब देखी जाती थी लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है।