भंडारण की लागत और वजन में होने वाले नुकसान को देखते हुए सनफ्लावर उगाने वाले किसानों को अपनी फसल तत्काल बेच डालने की सलाह दी गई है ताकि उन्हें अपने उत्पाद की अच्छी कीमत मिल सके।
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के डोमेस्टिक एंड एक्सपोर्ट मार्केट इंटेलिजेंस सेल
(डीईएमआईसी) द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक सनफ्लावर के पौधे में फूल लगने के समय बारिश हुई थी और बारिश से फसल को काफी नुकसान पहुंचा था। इस वजह से पिछले साल के मुकाबले इस साल इसकी पैदावार में गिरावट आई है। उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सनफ्लावर ऑयल की बढ़ती कीमत के चलते इसका आयात अब लाभदायक नहीं रह गया है।देश में पिछले दो साल के दौरान सनफ्लावर ऑयल की खपत में 40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इन वजहों से घरेलू बाजार में सनफ्लावर ऑयल की कीमत में बढ़ोतरी का क्रम जारी रहने के आसार हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च–मई 2008 के दौरान इसकी कीमतें 28-31 रुपये प्रति किलो के स्तर पर होगी। सनफ्लावर ऑयल की अधिकतम कीमत इसकी उम्दा क्वॉलिटी की बीज पर निर्भर करेगी। उम्दा क्वॉलिटी के42 ग्राम बीज से 100 मिलिलीटर तेल निकलता है और असल में इसकी कीमत वजन में होने वाले नुकसान आदि पर निर्भर करता है। सर्वे के मुताबिक, हालांकि इसकी कीमतें धीरे–धीरे बढ़ने के आसार हैं।