केंद्र सरकार कुछ राज्यों व सांसदों द्वारा कोविड-19 की दूसरी लहर में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की तर्ज पर मुफ्त में अतिरिक्त अनाज आवंटित करने को लेकर बहुत ‘उदार’ है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज यह जानकारी दी।
केंद्र सरकार ने कोविड-19 की पहली लहर में योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आने वाले लाभार्थियोा को सामान्य अनाज आवंटन के अतिरिक्त 5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो दाल मुफ्त दिया था। इसे बंदी के दौरान भूख और नुकसान से बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया था।
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए अब कुछ राज्यों द्वारा लॉकडाउन और कर्फ्यू की घोषणा की गई है, जिनमें से केरल, राजस्थान और उत्तराखंड ने पीएमजीकेएवाई की तर्ज पर अनाज के अतिरिक्त आवंटन की मांग की है। शरद पवार, सौगत रॉय, विनय विश्वम जैसे सांसदों ने भी मांग का समर्थन किया है। महाराष्ट्र ने पहले ही अतिरिक्त मुफ्त अनाज का वितरण शुरू कर दिया है।
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम पहले ही विभिन्न योजनाओं के तहत कम दरों पर खुले बाजार में राज्यों व अन्य कल्याणकारी संस्थाओं के लिए अनाज बेच रहे हैं। यह योजना अभी भी चल रही है और करीब 20 लाख टन अनाज इस प्रक्रिया के तहत राज्यों को दिया गया है। लेकिन हमें 3-4 राज्यों की तरफ से पीएमजीकेएवाई फिर से शुरू करने का अनुरोध मिला है। इस समय मैं इस मामले में कुछ भी कहने में सक्षम नहीं हूं, लेकिन कोविड की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मैं कह सकता हूं कि भारत के विचार इस मसले को लेकर बहुत उदार हैं।’
कोविड-10 लॉकडाउन जब चरम पर था, तब अप्रैल 2020 में पीएमजीकेएवाई योजना पेश की गई थी। यह शुरुआत में 3 महीने के लिए था, जो अस्थिर स्थिति को देखते हुए बाद में बढ़ाकर 5 महीने के लिए कर दिया गया। इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने 5 किलो गेहूं या चावल प्रति व्यक्ति प्रति माह करीब 80 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त दिया था, जो खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत उन्हें मिलने वाले अनाज के अतिरिक्त था। इसके अलावा सभी पात्र परिवारों को 1 किलो प्रति महीने मुफ्त दाल भी बांटी गई थी।
पीएम गरीब कल्याण योजना के दो चरणों में और आत्म निर्भर भारत के तहत केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 21 में 3.2 करोड़ टन अतिरिक्त अनाज वितरित किया था। यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) व अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत की गई करीब 5.5 करोड़ टन गेहूं और चावल की बिक्री के अतिरिक्त है।
सरकार के मुतबिक पहले तीन महीनों अप्रैल, मई और जून में अनाज के मुफ्त वितरण पर कुल सब्सिडी करीब 46,061 करोड़ रुपये आई थी। इसके बाद गरीब कल्याण अन्य योजना को बढ़ाकर 5 महीने के लिए कर दिया गया, जिससे सब्सिडी का 76,000 करोड़ रुपये के करीब अतिरिक्त बोझ पड़ा था। इसके बाद गरीब गलन्याण के दोनों पैकेज करीब 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया, जिसमें दाल वितरण और आत्मनिर्भर भारत के तहत विस्थापितों को मुफ्त में अनाज वितरण पर आई सब्सिडी लागत भी शाीमिल है।
बहरहाल खाद्य सचिव ने यह भी कहा कि गेहूं खरीद की प्रक्रिया देश भर में सुगमता से चल रही है और अब तक 12,800 करोड़ रुपये में 64 लाख टन गेहूं किसानों से खरीदा गया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में महज 60 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।
एमएसएमई क्षेत्र के लिए पंजाब ने पेश किए कई सुधार
पंजाब सरकर ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए कई सुधारों की घोषणा की है। सरकार ने कहा है कि उसका इरादा चीजों को सुसंगत करने और डिजिटलीकरण के जरिये एमएसएमई क्षेत्र से नियामकीय बोझ को कम करना है। इन उपायों से उद्यमी कोविड-19 महामारी के बीच अपने परिचालन के विस्तार पर ध्यान दे पाएंगे। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को आधिकारिक बयान में कहा कि श्रम नियमों में लचीलापन और निगरानी को कम करने के साथ सेवाओं की आपूर्ति में विलंब का आंकड़ों के आधार पर आकलन ये सभी सुधार पंजाब में उद्यमिता को सुगम करने पर केंद्रित हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अनुपालन से जुड़े समय, जोखिम और लागत को उल्लेखनीय रूप से कम करने को प्रतिबद्ध है। इससे उद्यमी मुक्त होकर वृद्धि पर ध्यान दे सकेंगे। ये सुधार, प्रतिबद्धताएं भविष्य के बदलावों के लिए हैं। भाषा