सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों एवं वित्तीय संस्थानों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना तैयार की है। वित्त मंत्री ने बजट में इसकी घोषणा की। इनमें दो सरकारी बैंक एक सामान्य जीवन बीमा कंपनी भी शामिलि हैं। हालांकि यह रकम चालू वित्त वर्ष के लिए तयह 2.10 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से कम है। कोविड-19 महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष में सरकार की सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी बिक्री कार्यक्रम पर असर हुआ जिसके बाद संशोधित अनुमान में सरकार ने लक्ष्य घटाकर 32,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इस वित्त वर्ष अब तक सरकार ने सीपीएसई हिस्सेदारी बिक्री और शेयर पुनर्खरीद से अब तक 19,449 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए तय लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये में 1 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से आएंगे। 75,000 करोड़ रुपये सार्वजनिक इकाइयों की विनिवेश प्राप्तियों के रूप में आएंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि चार क्षेत्र-परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष एवं रक्षा, परिवहन एवं दूरसंचार, बिजली, पेट्रोलियम एवं कोयला एवं अन्य खान और बैंकिंग, बीमा एवं वित्तीय सेवाएं रणनीतिक क्षेत्रों का हिस्सा होंगे। इन रणनीतिक क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की एक आवश्यक उपस्थिति जरूर होगी। रणनीतिक क्षेत्रों में शेष सीपीएसई का का निजीकरण होगा या इनका विलय दूसरे सीपीएसई में कर दिया जाएगा। इन्हें बंद करने का विकल्प भी सरकार खुला रखेगी। गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में र्साजनिक इकाइयों का निजीकरण होगा नहीं तो वे बंद कर दिए जाएंगे।
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिंपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस, नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड सहित अन्य इकाइयों में रणनीतिक विनिवेश 2021-22 में पूरे कर लिए जाएंग।
उन्होंने कहा, ‘आईडीबीआई बैंक के अलावा सरकार दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों एवं एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण अगले वित्त वर्ष में करेगी। इसके लिए कानून में संशोधन करने होंगे और मैं इसी सत्र में संशोधन लाने का प्रस्ताव देती हूं।’
विनिवेश नीति को गति देने के लिए नीति आयोग उन सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों की सूची तैयार करेगी जिनमें रणनीतिक विनिवेश को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही विनिवेश प्रक्रिया को सहजता से आगे बढ़ाने के लिए सरकार राज्यों के लिए एक प्रोत्साह राशि का भी इंतजाम करेगी। इसके साथ ही नुकसान में चल ही सार्वजनिक इकइयों बंद करने के लिए एक संशोधित प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा,’नुकसान में चल रही इकाइयां आत्मनिर्भर अभियान में योगदान नहीं दे पाएंगी। गैर-जरूरी परिसंपत्तियों में सरकारी मंत्रालयों एवं विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों के पास उपलब्ध जमीन शामिल हैं।’
वित्त मंत्री ने कहा कि जमीन की बिक्री सीधे तरीके से की जाएगी या फिर इससे मिलता-जुलता तरीका अपनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक विशेष इकाई की जरू रत होगी इसलिए सरकार इस मकसद से एक विशेष कंपनी की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा कि विनिवेश का मकसद विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी इकाइयों की उपस्थिति कम करना है और निजी क्षेत्र के लिए अधिक भागीदारी सुनिश्चित करना है। बजट में कहा गया है कि विनिवेश के बाद केंद्रीय सार्वजनिक इकाइयों एवं वितीय संस्थानों का कारोबार विकास निजी पूंजी, तकनीक एवं कुशल प्रबंधन व्यवस्था के साथ किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि ये इकाइयां आर्थिक वृद्धि में मदद देने के साथ ही रोजगार की नई संभावनाएं भी सृजित करेंगी।
एलआईसी आईपीओ अगले वित्त वर्ष में
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के लिए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (एलआईसी) अप्रैल से शुरू होने वाले आगामी वित्त वर्ष में लाया जाएगा। सरकार एलआईसी के आईपीओ के लिए प्रकिया पहले ही शुरू कर चुकी है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2021-22 में हम एलआईसी का आईपीओ भी लाएंगे जिसके लिए मैं इस सत्र में उचित संशोधन लाने जा रही हूं।’ फिलहाल एलआईसी में सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है। एलआईसी सूचीबद्ध होने पर बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी होगी। एलआईसी का बाजार पूंजीकरण 8 से 10 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। सरकार एलआईसी के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण 2021-22 में करने की योजना बना रही है।