दिल्ली सरकार ने भी अपने चुनावी बजट में जनता व कारोबारियों को रिझाने की पूरी कोशिश की है। आम जनता पर जहां किसी भी प्रकार का कोई नया कर नहीं लगाया गया है।
वही कई प्रकार की वस्तुओं पर लगने वाले वैट के प्रतिशत को कम कर दिया गया है या फिर उन्हें समाप्त कर दिया गया है। चल संपत्तियों की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टांप शुल्क में भी सरकार ने लोगों को राहत दी है। महिलाओं के लिए यह तीन प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत कर दिया गया है तो पुरुषों के मामले में इसे पांच प्रतिशत से कम कर तीन फीसदी कर दिया गया है।
पूंजी बाजार के विकास में मदद पहुंचाने के लिए ब्रोकर के नोट्स पर स्टांप शुल्क कम करके महाराष्ट्र, गुजरात व राजस्थान में प्रचलित दरों के समान करने का ऐलान किया गया है।दिल्ली के वित्त मंत्री डॉ. अशोक कुमार वालिया ने आगामी वित्त वर्ष 2008-09 के लिए 20,200 करोड़ रुपये के बजट अनुमान का प्रस्ताव रखा। इनमें से 10,000 करोड़ रुपये योजनागत व्यय तो 10,100 करोड़ रुपये गैर योजनागत व्यय के लिए निर्धारित किए गए हैं।
तो 100 करोड़ रुपये केंद्र प्रायोजित कार्यक्रमों पर खर्च करने के लिए रखे गए हैं। 12 फीसदी की दर से विकास करने वाली दिल्ली में वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान कर राजस्व की वसूली में 11, 952 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। सरकार ने तालों भार व माप उपकरणों पर लगने वाले वैट की दर को 12.5 फीसदी से घटा कर 4 फीसदी कर दिया है।
इसके अलावा सरकार ने ऊर्जा की बचत को प्रोत्साहित करने के लिए प्लोरेसेंट लैंप यानी सीएफएल तथा इलेक्ट्रॉनिक चोक पर वैट की दर 12.5 फीसदी से कम कर 4 प्रतिशत करने का फैसला किया है। मिठाई व नमकीन व्यापारी को भी राहत देते हुए सरकार ने इनके वैट को कम कर 4 फीसदी कर दिया। कशीदाकारी व जरी वस्तुओं को वैट से पूर्ण रूप से मुक्त कर दिया गया है।