बड़ी तादाद में नौकरियां खोने या आय में कमी से झेलने के एक साल बाद लोगों को वित्त मंत्री से इसे लेकर उम्मीद थी कि बजट में कर रियायत के जरिये मध्य वर्ग को कुछ राहत दी जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। साथ ही, अमीर इसे लेकर आशंकित थे कि सरकार पूंजीगत बाजार लाभ पर अतिरिक्त कर थोप सकती है, ऊंचे आय दायरे वाले करदाताओं पर कर बढ़ा सकती है, या वेल्थ टैक्स फिर से लगा सकती है। ये अनुमान निराधार साबित हुए हैं। हालांकि बजट में कई बदलाव किए गए हैं जिनसे आपका पैसा प्रभावित होगा, जिनके बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं।
कर्मचारी भविष्य निधि
अब तक, ईपीएफ एक ऐसा विकल्प था जिसे एक्जेम्प्ट-एक्जेम्प्ट-एक्जेम्प्ट (ईईई) व्यवस्था (पब्लिक प्रोवीडेंट फंड के साथ साथ) का लाभ हासिल था। इस बजट में, वित्त मंत्री ने इस योजना से हासिल ब्याज आय पर कर छूट कर्मचारी के 2.5 लाख रुपये के योगदान तक सीमित कर दी है।
इससे पहले, सिर्फ इसे लेकर सीमा थी कि व्यक्ति अपनी बेसिक आय का 12 प्रतिशत योगदान दे सकता है। इसके अलावा, वह वोलंटरी प्रोवीडेंट फंड (वीपीएफ) के लिए ज्यादा योगदान दे सकता है। इसलिए, ईपीएफ और वीपीएफ में व्यक्ति के योगदान की कुल राशि उसके बेसिक वेतन के 100 प्रतिशत तक हो सकती है। सेबी के साथ पंजीकृत पर्सनलफाइनैंसप्लान के संस्थापक दीपेश राघव का कहना है, ‘अब, यदि आप अपने ईपीएफ खाते में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा का योगदान देते हैं तो अतिरिक्त रकम पर प्राप्त ब्याज कर योग्य होगा।’ मान लीजिए कि आपने एक साल में 3.6 लाख रुपये का निवेश किया है। 2.5 लाख रुपये पर अर्जित ब्याज कर के दायरे में नहीं आएगा।
यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाएं (यूलिप)
यूलिप से परिपक्वता राशि तभी कर-मुक्त होगी, जब इन पर सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से ज्यादा न हो। टैक्स कनेक्ट एडवायजरी में पार्टनर विवेक जालान कहते हैं, ‘कुछ खास अमीर निवेशकों को प्रीमियम की बड़ी राशि निवेश करने और छूट का दावा करने से रोकने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 10 (10डी) में संशोधन किया गया है।’ सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के सालाना प्रीमियम वाले यूलिप (जो अब कर छूट के लिए योग्य नहीं होंगे) पूंजीगत लाभ पर 10 प्रतिशत की कर दर के दायरे में आएंगे।
वरिष्ठ नागरिकों को मिली राहत
वित्त मंत्री ने 75 साल से ऊपर के बुजुर्गों पर कर अनुपालन बोझ कम करने का प्रस्ताव रखा है। इस उम्र के जो वरिष्ठ नागरिक सिर्फ पेंशन और ब्याज आय पर निर्भर हैं, उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न भरने की जरूरत नहीं होगी। एनए शाह एसोसिएट्स के पार्टनर अशोक शाह कहते हैं, ‘कई बुजुर्गों के पास सिर्फ पेंशन और ब्याज आय का सहारा होता है। यह कदम उनकी जिंदगी आसान बनाएगा।’
पहले से जानकारी
मौजूदा समय में वेतन, कर भुगतान, और स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) जैसे शब्दों को टैक्स रिटर्न फॉर्मों में शामिल किया गया है। अब पूंजीगत लाभ, लाभांश आय, और बैंक तथा पोस्ट ऑफिस से ब्याज आय जैसी जानकारी भी दर्ज होगी।
समय सीमा में कमी
आयकर अधिनियम के तहत कर आकलन मामलों को पुन: खोलने के लिए समय-सीमा भी 6 साल से घटाकर 3 साल की गई है। शाह कहते हैं, ‘शुरू में करदाताओं को हमेशा यह चिंता सताती थी कि उनका कर मामला कुछ वर्षों के बाद भी पुन: खोला जा सकता है।’ तीन साल बीत जाने के बाद करदाता को अब यह भय नहीं सताएगा।
पेट्रोल और डीजल पर नए कृषि उपकर
केंद्र सरकार ने पेट्रोल, डीजल, सोना, नशीले पदार्थों समेत कई उत्पादों पर कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर उपकर लगा दिया। सरकार के इस कदम का मकसद कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खास उत्पादों पर एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट सेस (एआईडीसी) लगाते वक्त कहा कि इससे हमारे किसानों के लिए आजीविका में वृद्घि सुनिश्चित होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि ढांचे को सुधारने की सख्त जरूरत है जिससे कि हम ज्यादा उत्पादन कर सकें और साथ ही कृषि उत्पादों को प्रभावी ढंग से संरक्षित एवं प्रसंस्कृत कर सकें। पेट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर का एआईडीसी लगाया गया है।
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि हालांकि यह उपकर उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालेगा। उन्होंने कहा कि इस उपकर का इस्तेमाल कृषि ढांचे और अन्य विकास खर्च के सुधार की दिशा में वित्त पोषण के लिए किया जाना चाहिए। पेट्रोल और डीजल पर एआईडीसी लगाए जाने के साथ साथ, इन पर मूल उत्पाद शुल्क और स्पेशल एडीशनल एक्साइड ड्यूटी की दरें घटाई गई हैं जिससे कि उपभोक्ता पर किसी तरह का अतिरिक्त बोझ न पड़े। इसके अलावा अन्य फरमेंटेड पेय पदार्थों पर 100 प्रतिशत उपकर भी लगाया गया है, जिनमें साइडर, पेरी, मीड, सेक और गैर-नशीले पेय पदार्थ शामिल हैं।