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Budget 2024: जेंडर बजट पर सरकार करेगी रिकॉर्ड खर्च, आवंटित किए गए 3.1 लाख करोड़ रुपये

आवंटन में इस वृद्धि के साथ ही जेंडर बजट अब सरकार के कुल व्यय का 6.5 फीसदी हो चुका है जो अब तक का सर्वाधिक है।

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समरीन वानी   
Last Updated- February 01, 2024 | 11:36 PM IST

Budget 2024: वित्त वर्ष 2024-25 में जेंडर बजट पर सरकार का खर्च अब तक के रिकॉर्ड में सबसे अधिक होगा। सबसे ज्यादा होगा। अंतरिम बजट के तहत, महिलाओं से संबंधित समस्याओं से निपटने वाली योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए 3.1 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में करीब 2.2 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

आवंटन में इस वृद्धि के साथ ही जेंडर बजट अब सरकार के कुल व्यय का 6.5 फीसदी हो चुका है जो अब तक का सर्वाधिक है। इस मामले में पिछले दो दशकों का औसत 4.8 फीसदी रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान के अनुसार, सरकार का जेंडर बजट में खर्च बढ़कर बजट प्रस्ताव के 116.5 फीसदी तक हो जाएगा और वह इस मद में 2.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर सकती है।

भारत में जेंडर बजट की शुरुआत वित्त वर्ष 2005-06 में हुई थी। इसे खास तौर पर बजटीय आवंटन को स्त्री-पुरुष के नजरिये से देखने और यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया था ताकि विकास के लाभ से महिलाएं वंचित न रहने पाएं। यह कोई अलग बजट तैयार करने का संकेत नहीं देता है, बल्कि यह महिलाओं की खास जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करता है। मगर जेंडर बजट का आकार देश के सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले 1 फीसदी से भी कम है।

नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) की चेयरमैन एवं प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने कहा कि जीडीपी के 1 फीसदी से भी कम का यह आवंटन संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘जेंडर बजट का आकार एक वृहद आर्थिक सवाल है। मगर राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की राह के मद्देनजर जब तक कि करों में वृद्धि नहीं होती, वित्त मंत्री अपने घाटे के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक व्यय को कम करना चाहती हैं। यह एक अच्छी खबर है कि जेंडर बजट के मामले में सार्वजनिक व्यय में कटौती नहीं की गई है।’

राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए काम करने वाली गैर-लाभकारी संस्था फीमे फर्स्ट फाउंडेशन की संस्थापक एंजेलिका अरिबम ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में जेंडर बजट के सामने आने वाली प्रमुख समस्या इसके कार्यान्वयन संबंधी बाधाएं हैं। ऐसे में इसकी प्रगति की रफ्तार काफी धीमी हो गई है। अधिक रकम उपलब्ध होने और सरकार के दबाव से धीरे-धीरे इन पर काबू पाया जा सकता है।’

जेंडर बजट के मुख्य तौर पर दो भाग होते हैं। पहले भाग में उन कार्यक्रमों को शामिल किया जाता है जो पूरी तरह महिलाओं के लिए होते हैं। मगर दूसरे भाग में ऐसे तमाम कार्यक्रमों को शामिल किया जाता है जिनमें कम से कम 30 फीसदी प्रावधान महिलाओं पर केंद्रित होते हैं। इसका मतलब साफ है कि केंद्र सरकार की कुछ अन्य योजनाएं भी इस बजट के दायरे में आती हैं।

उदाहरण के लिए, इस बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना भी शमिल है जिसके लिए 54,500 करोड़ रुपये का आवंटन है। इसके अलावा 34,162.32 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ जल जीवन मिशन और करीब 29,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ मनरेगा भी इसके दायरे में हैं।

चक्रवर्ती का कहना है कि इस तरह के प्रमुख खर्च को जेंडर के नजरिये से देखना महत्त्वपूर्ण है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह केवल महिलाओं के लिए विशेष तौर पर लक्षित कार्यक्रमों तक ही सीमित हो सकता है जो बजट का बमुश्किल से 1 फीसदी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साल 2019-20 से इस पद मौजूद हैं और वह देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं।

वह सबसे लंबे समय तक वित्त मंत्री के रूप में सेवा देने वाली पहल महिला भी हैं। उन्होंने संसद में घोषणा की कि महिलाओं का कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। महिला उद्यमियों को लगभग 30 करोड़ मुद्रा ऋण दिए गए हैं और पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत 70 फीसदी से अधिक मकान महिलाओं को एकल या संयुक्त मालिक के रूप में दिए गए हैं।

First Published : February 1, 2024 | 11:27 PM IST