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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में आयकर से संबंधित कई बदलाव किए गए हैं। वित्त मंत्री का कहना है कि ये बदलाव मुख्य रूप से परिश्रमी मध्यवर्ग के लिए उपयोगी हैं। वेद जैन ऐंड एसोसिएट्स के पार्टनर अंकित जैन का कहना है कि सरकार ने नई कर व्यवस्था को बढ़ावा देकर लोगों के लिए कराधान आसान बनाने पर जोर दिया है।
सीतारमण ने घोषणा की है कि नई कर व्यवस्था अब डिफॉल्ट (वैकल्पिक) होगी। हालांकि नागरिकों के पास पुराने कर ढांचे के तहत मिलने वाले लाभ पाने का विकल्प होगा। 1 अप्रैल 2023 से यदि आप पुरानी कर व्यवस्था पर अमल करना चाहेंगे तो आपको वित्त वर्ष के शुरू में इसका चयन करना होगा।
मौजूदा समय में, 5 लाख रुपये तक की सालाना आय वालों को पुरानी या नई कर व्यवस्था में कोई कर नहीं चुकाना पड़ता है। बजट में नई कर व्यवस्था के तहत यह कर छूट सीमा बढ़ाकर 7 लाख रुपये की गई है। 5 लाख रुपये तक कमाने वालों को 12,500 रुपये की रियायत उपलब्ध होने की वजह से आय कर भुगतान से अलग रखा गया है।
सीएनके में पार्टनर पल्लव प्रद्युम्न नारंग कहते हैं, ‘आयकर अधिनियम 1961 की धारा 87ए के तहत मिलने वाली यह आयकर छूट पुरानी और नई कर व्यवस्था (पिछले साल के बजट में प्रस्तावित), दोनों के तहत उपलब्ध है।’ नए कर ढांचे में सात लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं चुकाना पड़ेगा।
नए कर ढांचे में स्लैब की संख्या में बदलाव किया गया है। टैक्स कनेक्ट एडवायजरी के पार्टनर विवेक जालान का कहना है कि स्लैब की प्रारंभिक सीमा बढ़ाई गई है और स्लैब की संख्या में कमी की गई है। कर छूट सीमा बढ़ाकर तीन लाख रुपये की गई है।
वेतनभोगी के अलावा पेंशनधारकों के लिए, कटौती का लाभ नई कर व्यवस्था में बढ़ाया गया है। 15 लाख रुपये या इससे ज्यादा कमाने वाले प्रत्येक वेतनभोगी को 52,500 रुपये तक का फायदा होगा। कटौती सीमा में इस वृद्धि से कई मायने में मदद मिलेगी।
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वित्त मंत्री ने नई कर व्यवस्था में सर्वाधिक अधिभार दर 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे अधिकतम कर दर में कमी आएगी। पुरानी व्यवस्था से जुड़े रहने वालों के लिए इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। इससे उन अमीर निवेशकों को ज्यादा फायदा होगा जिनकी आय पांच करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।
गैर-सरकारी, वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवानिवृति लीव इनकैशमेंट पर कर रियायत के लिए 5 लाख रुपये की सीमा वर्ष 2002 में तय की गई थी, तब सरकार में सर्वाधिक मूल वेतन सिर्फ 30,000 रुपये प्रति महीने था। सरकारी वेतन में वृद्धि के अनुरूप बजट में यह सीमा बढ़ाकर 25 लाख रुपये की गई है।
इसलिए, अब सवाल उठता है कि कौन सी कर व्यवस्था का चयन किया जाए। जालान का कहना है कि नई कर व्यवस्था पुराने तथा नए करदाताओं, दोनों के लिए आसान और आकर्षक है। इसलिए आपको अपने निवेश के अनुसार नए कर ढांचे का चयन करने का सुझाव है।