प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के अरबपति उद्योगपति ईलॉन मस्क से प्रौद्योगिकी समेत आपसी हितों के विभिन्न मुद्दों पर आज बातचीत की। इससे यह उम्मीद बढ़ गई है कि मस्क की कंपनियां टेस्ला और स्टारलिंक जल्द ही भारतीय बाजार में प्रवेश करेंगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री की ईलॉन मस्क के साथ बातचीत रचनात्मक रही। इसमें आपसी हितों के विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। साल की शुरुआत में वाशिंगटन डीसी में बैठक के दौरान शामिल किए गए विषयों पर भी चर्चा की गई, जिसमें तकनीकी प्रगति के लिए साझा दृष्टिकोण पर जोर दिया गया।’
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में मोदी ने कहा कि भारत प्रौद्योगिकी और नवाचार में अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक ने भारत में अपने उपकरणों और सेवाओं के वितरण के लिए दूरसंचार ऑपरेटरों भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के साथ साझेदारी की घोषणा पहले ही कर दी है। मस्क की वाहन और स्वच्छ ऊर्जा कंपनी टेस्ला भी देश में दस्तक देने की तैयारी में है मगर उच्च आयात शुल्क के कारण इसमें बाधा आ रही है।
स्टारलिंक के देश में प्रवेश को लेकर सरकार से मजबूत संकेत मिले हैं। मार्च में एयरटेल और जियो ने घोषणा की थी कि उनके ग्राहकों को स्टारलिंक के सैटेलाइट संचार समाधानों के पोर्टफोलियो तक पहुंच मिलेगी। स्टारलिंक 7,000 से ज्यादा लो अर्थ ऑर्बिट उपग्रह समूह के जरिये 100 से अधिक देशों में सैटकॉम सेवाएं देती है।
इस सप्ताह की शुरुआत में स्टारलिंक के भारतीय बाजार के निदेशक परनील उर्ध्वेशे और उपाध्यक्ष चाड गिब्स सहित कंपनी के शीर्ष अधिकारियों ने नई दिल्ली में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की थी। भारत में सैटकॉम सेवाओं के लिए स्टारलिंक का आवेदन अनिवार्य स्वामित्व खुलासा मानदंडों का पालन नहीं करने के कारण उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के पास अटका हुआ है। सैटेलाइट सेवाओं के लिए वैश्विक मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन लाइसेंस के लिए स्टारलिंक का आवेदन नवंबर 2022 से ही लंबित है जबकि दूरसंचार विभाग द्वारा एयरटेल की यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो की सैटेलाइट इकाई जियो स्पेस लिमिटेड को लाइसेंस दिया जा चुका है।
टेस्ला ने अभी तक आधिकारिक तौर पर भारतीय बाजार में कदम नहीं रखा है लेकिन फरवरी में अमेरिका में मोदी और मस्क के बीच हुई बैठक के तुरंत बाद टेस्ला ने भारत में भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी थी। टेस्ला ने लिंक्डइन पर विभिन्न भूमिकाओं के लिए 13 पदों पर भर्ती करने की बात कही थी। बीते समय में टेस्ला और भारत के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं क्योंकि ब्रांड ने भारतीय वाहन बाजार में प्रवेश में देर की है। ईवी विनिर्माता की मुख्य चिंता उच्च आयात शुल्क रही है। हालांकि भारत सरकार ने पिछले मार्च में भारत में ईवी के विनिर्माण योजना की घोषणा करके इस चिंता को दूर किया है। हालांकि दिशानिर्देशों को अभी अधिसूचित किया जाना बाकी है लेकिन इस योजना में ईवी पर आयात शुल्क में कटौती शामिल है। इसमें कहा गया है कि वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं को कम से कम 50 करोड़ डॉलर के निवेश के साथ स्थानीय विनिर्माण इकाई लगानी होगी।