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₹30,000 करोड़ तक निवेश करेंगी ऑटो कंपोनेंट कंपनियां! बड़े विस्तार की तैयारी: ICRA

भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री, जिसकी सालाना कमाई FY2024 में 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा थी, आने वाले समय में स्थिर रफ्तार से आगे बढ़ेगी।

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एजेंसियां   
Last Updated- February 20, 2025 | 5:15 PM IST

देश की ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री आने वाले सालों में तेजी से विस्तार करने वाली है। कंपनियां न सिर्फ अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने जा रही हैं, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के पार्ट्स और एडवांस टेक्नोलॉजी पर भी बड़ा दांव लगाने की तैयारी कर रही हैं। रेटिंग एजेंसी ICRA की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष में ऑटो कंपोनेंट कंपनियां 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये तक निवेश कर सकती हैं।

निवेश की बड़ी प्लानिंग, EV कंपोनेंट्स पर रहेगा फोकस

रेटिंग एजेंसी ICRA ने बताया कि ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री में निवेश बढ़ने की मुख्य वजह नए प्रोडक्ट का डेवलपमेंट, मौजूदा प्लेटफॉर्म्स के लिए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन और EV कंपोनेंट्स का विस्तार है। इसके अलावा, कंपनियां आने वाले नियामक बदलावों को अपनाने के लिए भी अपने प्लांट्स की क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही हैं।

ICRA की वाइस प्रेसिडेंट और सेक्टर हेड विनुता एस के मुताबिक, “बड़ी ऑटो कंपोनेंट कंपनियां FY25 में 15,000-20,000 करोड़ रुपये और FY26 में 25,000-30,000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रही हैं।” यह निवेश नए प्रोडक्ट के डेवलपमेंट, उत्पादन क्षमता बढ़ाने और EV टेक्नोलॉजी को अपनाने में किया जाएगा।

इंडस्ट्री की ग्रोथ रफ्तार होगी धीमी, लेकिन डिमांड बरकरार

भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री, जिसकी सालाना कमाई FY2024 में 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा थी, आने वाले समय में स्थिर रफ्तार से आगे बढ़ेगी। ICRA के अनुसार, FY2025 में इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट 7-9% और FY2026 में 8-10% रहने की उम्मीद है, जो FY2024 के 14% ग्रोथ रेट से कम है।

घरेलू ऑटो कंपनियों (OEMs) से आने वाली मांग, जो इस इंडस्ट्री के कुल राजस्व का 50% से ज्यादा योगदान देती है, अगले दो साल में 7-10% की दर से बढ़ सकती है। ICRA का कहना है कि कंपनियां अब हाई-एंड कंपोनेंट्स और अधिक वैल्यू एडिशन पर ध्यान दे रही हैं, जिससे ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा।

रिप्लेसमेंट मार्केट और एक्सपोर्ट सेक्टर की स्थिति

पुरानी गाड़ियों के लिए ऑटो पार्ट्स की मांग भी लगातार बढ़ रही है। FY2025 में यह 5-7% और FY2026 में 7-9% की दर से बढ़ सकती है। इसकी वजह है – वाहनों की बढ़ती संख्या, पुरानी कारों की बढ़ती बिक्री, ज्यादा मेंटेनेंस और ऑर्गेनाइज्ड स्पेयर पार्ट्स मार्केट का विस्तार।

हालांकि, एक्सपोर्ट मार्केट में थोड़ी सुस्ती देखने को मिल सकती है। ICRA ने बताया कि वैश्विक बाजारों में नए वाहनों की बिक्री कम होने से भारतीय कंपनियों के निर्यात पर असर पड़ सकता है। लेकिन एक अच्छी खबर भी है – ग्लोबल कंपनियां अब अपने सप्लायर बेस को डायवर्सिफाई कर रही हैं और आउटसोर्सिंग बढ़ा रही हैं, जिससे भारतीय कंपनियों को नए ऑर्डर मिलने की संभावना है। (PTI के इनपुट के साथ)

First Published : February 20, 2025 | 5:09 PM IST