लेखक : सुरिंदर सूद

आज का अखबार, लेख

खेती बाड़ी: जैव विविधता संकट पर आंख खोलने की जरूरत

भारत ने हाल ही में कोलंबिया के कैली में जैव विविधता से जुड़े अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन (सीबीडी) के 16वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप-16) में भाग लिया है। यह सम्मेलन भारत के लिए वरदान साबित हुआ है क्योंकि इसने सरकार को देश की राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना (एनबीएस-एपी) को फिर से देखने और […]

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खेती बाड़ी: खेत से थाली की यात्रा सुगम बनाती डिजिटल राह

भारत का कृषि क्षेत्र डिजिटल क्रांति की दहलीज पर खड़ा दिख रहा है। डिजिटलीकरण और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल ग्रामीण सामाजिक आर्थिक ताने-बाने में पहले ही पैठ बना चुका है। लेकिन डिजिटल कृषि मिशन को 2,817 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ नया रूप देने के जिस प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने […]

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खेती बाड़ी: टिकाऊ कपास क्रांति के ढलते दिन; उत्पादन में गिरावट और जीएम बीज नीति पर फिर से विचार की जरूरत

पिछले दशक में कपास उत्पादन में लगातार गिरावट आने से स्पष्ट संकेत मिलता है कि वर्ष 2002 में जीन संवर्द्धित और कीट प्रतिरोधी बीटी-कपास संकर किस्मों के साथ शुरू हुई कपास क्रांति के दिन अब लदने लगे हैं। हालांकि इसके लिए कई कारकों विशेष तौर पर नए कीटों और रोगों के उभार को जिम्मेदार ठहराया […]

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खेती बाड़ी: आमदनी बढ़ाने में बांस की खेती होगी कारगर, एक हेक्टेयर से कमाएं 80,000 रुपये तक

कभी ‘गरीबों की लकड़ी’ कहलाने वाला बांस अब किसानों के लिए रकम पैदा करने का जरिया बन गया है और इसीलिए उसे ‘हरा सोना’ कहा जाता है। आधुनिक तरीकों से इसकी खेती करना गन्ने और कपास जैसी कीमती फसलों से भी ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है। इसमें किसानों की आमदनी बढ़ाने की संभावना देखते […]

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खेती बाड़ी: रेशम उत्पादन में छिपीं तरक्की की संभावनाएं, 2030 तक चीन को पछाड़ने की तैयारी

रेशम कीड़ों के पालन और उनके कोकून से पैदा होने वाले रेशम फाइबर के उत्पादन में आई तेजी के कारण भारत 2030 तक रेशम और रेशम उत्पादों का प्रमुख उत्पादक देश बनने की ओर अग्रसर है। रेशम उत्पादन की प्रक्रिया को सेरीकल्चर कहा जाता है। वर्ष 2022-23 में अनुमानित रेशम उत्पादन 36,500 टन था, जिसके […]

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खेती बाड़ी: जल संचयन, संरक्षण दूर करेंगे पानी की किल्लत

क्या भारत स्वाभाविक तौर पर पानी की किल्लत वाला देश रहा है? जब प्रत्येक वर्ष गर्मी में देश के कई हिस्से पानी की किल्लत का सामना करते हैं तो यह प्रश्न जरूर उभरता है। इसका कोई सीधा-सपाट उत्तर देना आसान नहीं है, क्योंकि इस विषय से जुड़े कई पहलू हैं जिनकी अलग-अलग व्याख्या हो सकती […]

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खेती बाड़ी: देश में मछली पालन में अपार संभावनाएं

भारत में मत्स्य पालन (Fisheries) या जलीय कृषि की तेज वृद्धि को अपेक्षित सराहना नहीं मिली है। पिछले एक दशक के दौरान जलीय कृषि फार्मों में मत्स्य एवं अन्य जलीय खाद्य उत्पादन में 80 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई है। देश में 2.8 करोड़ से अधिक लोग मछली पालन या जलीय कृषि से […]

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खेती बाड़ी: मधुमक्खी पालन से बढ़ता मुनाफा

भारत में तैयार होने वाले आधे से अधिक शहद के लिए विदेश में अच्छा-खासा तैयार बाजार मिल रहा है और मधुमक्खी पालन कृषि क्षेत्र के लिए एक लाभदायक निर्यात गतिविधि के तौर पर उभरा है। लगभग दो दशकों से शहद निर्यात की वृद्धि ने उत्पादन की वृद्धि को लगातार पीछे छोड़ा है। भारत इस प्राकृतिक […]

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खेती बाड़ी: भेड़-बकरियों की उत्पादकता का आधुनिकीकरण

भारत भले ही भेड़-बकरी के मांस का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है, लेकिन पशुधन से जुड़े विकास कार्यक्रमों में इन छोटे लेकिन अत्यधिक मूल्यवान जानवरों की ज्यादातर उपेक्षा की जाती है। सरकारी अनुमानों से पता चलता है कि वर्ष 2022-23 में संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, मालदीव और ओमान जैसे देशों को भेड़ और […]

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खेती बाड़ी: नीतियां बदलें तो लौटे ‘पीली क्रांति’ की चमक

खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करना केंद्र में सत्ता में आने वाली हर सरकार का प्रमुख एजेंडा रहा है, परंतु इस दिशा में कुछ खास प्रगति नहीं हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस साल अपने अंतरिम बजट भाषण में खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता के लिए रणनीति तैयार करने की प्रतिबद्धता जताई है। […]