देश में अव्वल मगर दुनिया के आगे फिसड्डी: क्यों नहीं उभर पाईं भारत से ग्लोबल कंपनियां?
अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए शुल्क विश्व व्यापार संगठन के वैश्विक व्यापार सिद्धांतों का पालन नहीं करते हैं। मगर इन शुल्कों के बाद भारत में यह बहस भी छिड़ गई है कि देश वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बने रहने के लिए क्या कदम उठा सकता है। औद्योगिक संगठनों, कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों और वरिष्ठ […]
भारत की आर्थिक कमजोरियां उजागर, अहम क्षेत्रों में विदेशी निर्भरता से बढ़ा खतरा
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के गुस्से और भारत से आने वाले सभी सामान पर 25 फीसदी आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने के फैसले ने एक बार फिर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद हमारी आर्थिक कमजोरियों को उजागर कर दिया है। हालांकि, ट्रंप के टैरिफ विवादों ने दो अन्य खतरों से ध्यान […]
दृष्टिकोण नहीं, समाधान जरूरी: बड़ी समस्याओं की अनदेखी कर रहा भारत
भारत को 2047 तक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति और विकसित राष्ट्र बनने के लिए क्या करना होगा? सभी लोगों की तरह मैंने भी यही कहा है कि भारत को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लंबे अरसे तक 7.5 फीसदी से अधिक बल्कि 8 फीसदी से अधिक (वास्तविक जीडीपी, नॉमिनल नहीं) दर से वृद्धि दर्ज करनी होगी। […]
भारत के समक्ष दुर्लभ खनिजों की चुनौती
भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियां चीन द्वारा दुर्लभ खनिज मैग्नेट पर लगाई पाबंदियों का दंश महसूस करने लगी हैं। ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक मोटर वाहन एवं अन्य वाहन पुर्जों के लिए काफी महत्त्वपूर्ण होती हैं। चीन ने 4 अप्रैल को मैग्नेट के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी और समाचार पत्रों की खबरों के अनुसार भारतीय […]
अमेरिका बनाम चीनः भारत का अधिक दांव वाला व्यापारिक सफर
कई टिप्पणीकारों ने इस बात को तवज्जो दी है कि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से भारत के विनिर्माण क्षेत्र को फायदा हो सकता है। लेकिन इस पर कम चर्चा होती है कि इस अवसर का लाभ हासिल करने के लिए भारतीय नीति निर्माताओं को बेहद चुनौतीपूर्ण राह तय करनी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका और चीन […]
विनिर्माण क्षेत्र में ताकत झोंकने का समय
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ‘मुक्ति दिवस’ (लिबरेशन डे) के नाम पर 2 अप्रैल को जिन शुल्कों का ऐलान किया है वे भारत, कनाडा, ब्राजील, मेक्सिको और चीन जैसे बड़े देशों और बाकी दुनिया में कितनी उथल-पुथल मचा सकते हैं? इसका पता तुरंत नहीं चलेगा और शुल्कों का असर शायद साल भर बाद ही […]
खनिज की बिसात पर भारत पीछे
खनिज एवं अन्य संसाधन खोजने की ललक ही 16वीं शताब्दी से यूरोपीय उपनिवेशवाद के प्रसार की बड़ी वजह रही थी। सोना, हीरा और दूसरे कीमती संसाधनों की खोज में यूरोप के ताकतवर देशों ने दुनिया का चप्पा-चप्पा छान मारा और बाद में एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के कई देशों पर राज करने लगे। उत्तर […]
परमाणु ऊर्जा अपनाने के साथ बचाव भी जरूरी
एक के बाद एक बजट में परमाणु ऊर्जा का लगातार उल्लेख इस बात का प्रमाण है कि सरकार इसके लिए काफी उत्साहित है। वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर यानी एसएमआर (300 मेगावॉट से कम क्षमता) पर जोर देते हुए कहा गया था कि इनके शोध एवं विकास में निजी क्षेत्र […]
नए साल में रिक्त पद भरने पर हो सरकार का ध्यान
किसी लेखक के लिए नए साल की शुरुआत में छपने वाला स्तंभ उसकी पसंद के किसी विषय से जुड़े मुद्दों को उठाने एवं उस पर ध्यान केंद्रित करने का बेहतरीन अवसर हो सकता है। मगर मैं खुद पर काबू रखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था एवं सरकार से जुड़े एक छोटे मसले पर ध्यान खींचना चाहूंगा। मुद्दा […]
ग्लोबल वॉर्मिंग और एआई के खतरे
नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और अर्थशास्त्रियों के बीच आज अगर किसी मुद्दे पर सबसे ज्यादा और गरमागरम चर्चा हो रही है तो वे हैं ग्लोबल वार्मिंग और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई)। बड़ी कंपनियों के आला अधिकारियों के दफ्तर हों या पढ़े-लिखे तबके के ड्रॉइंग रूम… वहां भी इन्हें बहस मुबाहिसों में भरपूर जगह मिल रही है। […]