लेखक : अजित बालकृष्णन

आज का अखबार, लेख

Opinion: भारतीय प्रबंधक और कामकाज में बदलाव

आप क्या इस बात से सहमत नहीं हैं कि भारतीय प्रबंधकों की आयु जब 40 के करीब होने लगती है तो वे वास्तविक काम करना बंद कर देते हैं और बैठक करने, समीक्षा बैठकों की अध्यक्षता करने जैसे अनुष्ठान रूपी काम करने लगते हैं? मुझसे यह सवाल एक मित्र ने पूछा था जब हम बीकेसी […]

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Opinion: भारतीयों के बदलते पहनावे की वजह

क्या भारतीयों के औपचारिक पहनावे में कुर्ता-पायजामा और धोती-साड़ी का बढ़ता प्रयोग औपनिवेशिक मानसिकता से दूरी और एक किस्म के सांस्कृतिक स्वराज की बानगी है? बता रहे हैं अजित बालकृष्णन जब मैंने उन सज्जन का अभिवादन किया तो उन्होंने मुझे सवालिया नजरों से देखा। हम दोनों एक दूसरे को अपने कामकाज के शुरुआती दिनों से […]

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क्रिएटर इकॉनमी: म्युजिक उद्योग में क्रांति का नया दौर

मुंबई में अपने घर के निकट जिस पार्क में मैं रोज सुबह एक घंटे पैदल चलता हूं उसके प्रवेश द्वार पर वर्दी में खड़े एक सुरक्षा कर्मी ने मुझसे कहा, ‘सर, क्या मैं आपसे बात कर सकता हूं?’ मैं उसे देखकर चकित था। क्या मैं कोई ऐसी गैरकानूनी वस्तु ले जा रहा हूं जिसे लेकर […]

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आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की चुनौती और हमारी तैयारी

लगभग हर दो दशक की अवधि में मनुष्यों को ऐसी तकनीकी लहर का सामना करना पड़ता है जो हमारी मेधा और बचने के हमारे कौशल की सीमाओं का परीक्षण करती है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) की मौजूदा लहर भी परीक्षा की ऐसी ही घड़ी है। इन तकनीकी लहरों में कुछ बातें साझा होती हैं। जब ऐसी […]

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Opinion: तेजी से बदलता समय और कुलीन वर्ग की भूमिका

हर एक दशक में परिस्थितियों में तीव्र बदलाव आ रहा है। ऐसे में किसी देश की आर्थिक और राजनीतिक दिशा के चयन में उसके कुलीन और अभिजात वर्ग की भूमिका का विश्लेषण कर रहे हैं अजित बालकृष्णन एक समय था जब मैं अपनी किशोरावस्था के अंतिम दौर में था और केरल में अपने घर से […]

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युवा भारतीयों का अंतहीन संघर्ष

भारत में शिक्षा ऋण की बढ़ती जरूरत तथा बदलते मध्यवर्गीय मूल्यों के कारण इस तरह के ऋण में इजाफा हुआ है। इस बात ने देश के युवाओं को एक बड़ी मुश्किल में डाल दिया है। बता रहे हैं अजित बालकृष्णन जब भी मैं ऐसी कोई सुर्खी देखता हूं जिसमें कहा गया हो, ‘कल्पना कीजिए सालाना […]

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Opinion: डेटा सुरक्षा से जुड़े जटिल सवालों का क्या हो समाधान

बेहतर होगा तकनीक क्षेत्र से जुड़े देश के सबसे बुद्धिमान और गहरी सोच वाले लोग डेटा संरक्षण के लिए काम करें। ​विस्तार से बता रहे हैं अजित बालकृष्णन पिछले हफ्ते मैं अपनी कार की पिछली सीट पर बैठ कर किंडल पर मशीन-लर्निंग तकनीक से जुड़ी हाल की सफलताओं के बारे में पढ़ रहा था। मुंबई […]

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कामकाजी मोर्चे पर सामाजिक बदलाव ?

तकनीक से कर्मचारियों का दूर रहकर काम करना संभव हुआ है। यह रुझान मजबूत हुआ तो बुनियादी ढांचे के दम पर वृद्धि और समृद्धि लाने की आर्थिक सोच का क्या होगा? सवाल उठा रहे हैं अजित बालकृष्णन मेरा एक मित्र जिसकी हजारों कर्मचारियों वाली एक टेक कंपनी है, उसने हाल ही में एक घटना को […]

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चतुराई और सही कदम के बीच चयन, जीवन में क्या करना बेहतर ?

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो तब तक चतुराई बरतते हैं जब तक कि प्रशासन या संबंधित व्यक्ति उस चतुराई को समझ नहीं लेता और उनसे सही काम करने को नहीं कहता। बता रहे हैं अजित बालकृष्णन विगत दिनों मैं दिल्ली से मुंबई जाने के लिए विमान पर सवार हुआ तो मुझे अहसास हुआ कि […]

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आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से डर केवल जॉब गंवाने का नहीं

ज्योफ्रे हिंटन ने हाल ही में गूगल छोड़ने की घोषणा की और जब उनसे पूछा गया कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मैंने इसलिए छोड़ा ताकि मैं आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के खतरों के बारे में बिना यह सोचे बात कर सकूं कि इसका गूगल पर क्या असर होगा।’ उनकी इस […]