लेखक : अजय शाह

आज का अखबार, लेख

रक्षा अर्थव्यवस्था की दिलचस्प पहेली….नए सिरे से विचार करने का वक्त

विवादों और संघर्षों से भरे इस नए वैश्विक दौर में सैन्य उत्पादन पर नए सिरे से विचार करने का वक्त आ गया है। बता रहे हैं अजय शाह यूक्रेन (Ukraine-Russia War) में चल रहे लंबे युद्ध के बाद अब गाजा में इजरायल (Israel-Hamas War) की सैन्य कार्रवाई ने सैन्य उत्पादन को वैश्विक बहस के केंद्र […]

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छोटी कंपनियां और भविष्य की राह

सन 1989 में जब तत्कालीन सोवियत संघ ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अपनाया तो यह सोवियत कंपनियों के लिए संकट की स्थिति थी। इन कंपनियों पर सरकार का नियंत्रण था और वे बाजार के द्वारा नहीं बल्कि अफसरशाही प्रक्रिया द्वारा निर्मित थीं। ऐसे में हजारों कंपनियां और फैक्टरियां बंद हो गईं। एक बड़ी अर्थव्यवस्था […]

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Opinion: बेहतर आर्थिक वृद्धि और बिजली सुधार

भारतीय बिजली क्षेत्र की बात की जाए तो नीति निर्माताओं की मंशा चाहे जो भी रही हो लेकिन देश में ताप बिजली क्षमता में ठहराव है। सीईए के आंकड़े दिखाते हैं कि ताप बिजली क्षमता 2005 के 100 गीगावॉट से बढ़कर 2018 में 300 गीगावॉट हो गई। उसके पश्चात इसमें ठहराव आ गया। सीएमआईई कैपेक्स […]

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Opinion: मॉनसून में हुए बदलाव से निपटने की तैयारी

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जितना पेचीदा है भारत के लिए इसका महत्त्व भी उतना ही है। मगर वैश्विक तापमान बढ़ने के बीच इसके स्वरूप में बदलाव संभव है। मॉनसून की उत्पत्ति का एक हिस्सा तो पूरी तरह स्पष्ट है। जब विश्व में तापमान बढ़ता है तो समुद्र से अधिक मात्रा में जल वाष्प में बदलता है और […]

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Opinion: प्रतियोगी परीक्षाओं से बेहतर की तैयारी

आईआईटी जेईई (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी ज्वाइंट एंट्रेंस एक्जाम) को योग्यता का पैमाना माना जाता है। इसकी कोचिंग देना एक उद्योग बन चुका है, परंतु यह अब तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि आखिर जेईई परीक्षा आईआईटी में जाने के लिए सही लोगों का चयन कैसे करती है। अधिकांश समझदार संस्थान केवल परीक्षा के […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: श्रम बाजार के लिए गिग कार्य व्यवस्था अहम

गिग अर्थव्यवस्था (Gig economy) का उदय देश में श्रम बाजार में लोगों की भागीदारी बढ़ा सकता है। बता रहे हैं अजय शाह और मैत्रीश घटक अनुबंध आधारित या अस्थायी रोजगार (गिग वर्क) को एक नई श्रम व्यवस्था के रूप के रूप में देखा जा रहा है। मगर यह अनौपचारिक क्षेत्र में श्रम उपलब्ध कराने का […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: कंपनियों को जिम्मेदार बनाता है कर्ज

कर्ज कंपनियों को जिम्मेदार और गतिशील बनाने का काम भी करता है। कंपनियों का पूरी तरह कर्ज मुक्त होना कई बार बहुत बेहतर स्थिति नहीं मानी जाती है। बता रहे हैं अजय शाह बड़ी भारतीय कंपनियों के कर्ज लेने में काफी कमी आई है। इससे जहां कंपनियों के प्रबंधक सुरक्षित महसूस करते हैं, वहीं यह […]

अंतरराष्ट्रीय, अर्थव्यवस्था, लेख

अमेरिकी डॉलर को कौन हटा सकता है शिखर से?

अमेरिका सन 1820 तक प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के दृष्टिकोण से दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल था। सन 1920 तक यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई। जर्मनी में नाजी शासन से पहले कहीं भी पूंजी नियंत्रण व्यवस्था नहीं थी, इस कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया से निवेश आकर्षित करने और […]

अंतरराष्ट्रीय, आज का अखबार, लेख

आपस में जुड़ी दुनिया और मौद्रिक नीति की चुनौती

ऐसा माना जा रहा था कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व, अमेरिकी खुदरा मूल्य सूचकांक को दो फीसदी के स्तर पर लाने का अपना लक्ष्य हासिल करने की ओर बढ़ रहा है। यह काम हाल के सप्ताहों में उस समय मु​श्किल हो गया जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती नजर आई और यूक्रेन से निरंतर निर्यात […]

आईटी, आज का अखबार, कंपनियां, ताजा खबरें, लेख

देश में बढ़ते प्राइवेट निवेश के क्या मायने हैं? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

भारत की वृद्धि में निजी निवेश का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। लंबे समय से निजी निवेश का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। लंबी गिरावट का दौर 2021 में एकदम निचले स्तर तक पहुंच गया और हालिया प्रमाण सुधार दर्शाते हैं। यह एक अहम शुरुआत है लेकिन अभी हम यह नहीं जानते कि इसका नतीजा बड़ी […]