लेखक : अजय शाह

आज का अखबार, लेख

महान नेतृत्व की असली पहचान, अहंकार और राष्ट्रवाद से ऊपर उठें

हममें से अधिकांश लोग सरकारों को लेकर एक हल्के संशय के शिकार रहते हैं। हम सत्ता प्रतिष्ठान से उम्मीद करते हैं कि वह गर्व और राष्ट्रवाद के मिश्रण के साथ काम करेगा। ऐसे में यकीनन हम सोचते हैं कि ईरान की सरकार जवाबी कार्रवाई करेगी और वह इजरायल की सैन्य शक्ति का मुकाबला करने का […]

आज का अखबार, लेख

भारत के लिए खुल रहे संभावनाओं के द्वार

वृहद आर्थिक नीति दो प्रमुख विषयों के इर्द-गिर्द घूम रही है। इनमें पहला विषय दीर्घ अवधि से लगातार निजी निवेश में सुस्ती से जुड़ी समस्या है और दूसरा विषय वैश्विक अर्थव्यवस्था की सराहनीय प्रगति और इसमें भारत के भविष्य के लिए दिख रही बेहतर संभावना है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत दरों में कटौती […]

आज का अखबार, लेख

भुगतान गतिविधि का बेहतर नियमन जरूरी

राज्य क्षमता निर्माण के सफर की बात करें तो एक खास किस्म के ज्ञान की आवश्यकता होती है और वह है ‘एजेंसी आर्किटेक्चर’। सरकार कई संगठनों से मिलकर बनती है और प्रत्येक संगठन की भूमिका को सावधानीपूर्वक तैयार करने की आवश्यकता होती है। किसी अधिकारी की सामान्य भावना जहां यह होती है कि शक्ति और […]

आज का अखबार, लेख

सरकारी खरीद में सुधार के करने होंगे प्रयास

भारत हर वर्ष तकरीबन 60 लाख करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद करता है जो उसके सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का लगभग 15-20 फीसदी होता है। सरकारी खरीद कैसे की जाती है यह सार्वजनिक वित्त की केंद्रीय चिंता होनी चाहिए। इसके बावजूद अक्सर देश में सरकारी खरीद के अनुबंधों को राजनीतिक […]

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चीन की कमजोरी अच्छा संकेत नहीं

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ‘लिबरेशन डे’ की घोषणा के बाद से पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय संबंधों और आर्थिक शासन को लेकर चर्चाओं में व्यस्त है। अमेरिका ने जो टैरिफ लगाया है और चीन ने जो जवाबी टैरिफ लगाया उसके चलते दोनों देशों के बीच कारोबारी जंग के हालात बन गए और बाकी दुनिया के देशों […]

आज का अखबार, लेख

एक नए प्लाजा समझौते का आ गया है समय?

चर्चा है कि 1985 की तर्ज पर डॉलर के अवमूल्यन के लिए समझौता हो सकता है, वहीं सच यह भी है कि बिना किसी समझौते के ही डॉलर का अवमूल्यन हो रहा है। बता रहे हैं  डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका की राजनीति में संरक्षणवाद का विचार वास्तविक रूप ले चुका […]

आज का अखबार, लेख

‘लिबरेशन डे’ और भारत की तैयारी

अमेरिका की दुनिया के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एक चौथाई हिस्सेदारी है और वैश्वीकरण के बाद बनी उदार व्यवस्था की अगुआई वही करता रहा है। हर किसी की नजर अब 2 अप्रैल पर है, जिसे ‘लिबरेशन डे’ कहा गया है और जिस दिन से अमेरिका ने नए टैरिफ यानी शुल्क लागू करने का […]

आज का अखबार, लेख

उत्सर्जन नियंत्रण में ऊहापोह के क्षण

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की बात करें तो बहुत निराशा दिख रही है। चिंता की चार वजहें नजर आ रही हैं। 1. हममें से कई लोग डेनियल येरगन की 1990 में आई किताब ‘द प्राइज’ पढ़ते हुए बड़े हुए, जिसमें तेल उद्योग की बात की गई है। हाल ही में फॉरेन अफेयर्स पत्रिका में […]

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कैसे चलाएं चरणबद्ध विनियमन परियोजना

लोगों के जीवन में सरकार के हस्तक्षेप को लेकर अनेक चिंताएं हैं। बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक उच्चस्तरीय समिति की घोषणा की जो गैर वित्तीय क्षेत्र में विनियमन की पड़ताल करेगी और वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद में एक कार्यक्रम तैयार करेगी ताकि वित्तीय क्षेत्र को लेकर भी ऐसा ही […]

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भारत की अर्थव्यवस्था को रणनीतिक सूझबूझ की जरूरत

वैश्विक अर्थव्यवस्था फिलहाल खराब दौर से गुजर रही है। अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ (ईयू) दुनिया में तीन सबसे बड़े आर्थिक केंद्र हैं। परंतु, इन तीनों के समक्ष अंदरूनी या बाहरी चुनौतियां हैं। अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद उथल-पुथल की हालत है और नया प्रशासन नए शुल्क लगाने की तैयारी […]