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गाजा संकट: इजरायल में नर्सिंग से जुड़े भारतीय सुरक्षा पर आश्वस्त

इजरायल से भारतीयों को निकालने की संभावित योजना के प्रस्ताव पर चर्चा की गई है, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

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शाइन जेकब   
शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- October 11, 2023 | 11:15 PM IST

केरल के कन्नूर की 41 वर्षीय शीजा आनंद और उनके पति पिछले शनिवार को दोपहर 12 बजे के आसपास, सामान्य दिनों की तरह ही वीडियो कॉल पर बात कर रहे थे। शीजा ने उन्हें अपने शहर एश्केलॉन पर भी हुए रॉकेट हमलों के बारे में बताया। वह पिछले सात वर्षों से यहां मरीजों की देखभाल का काम कर रही हैं। बातचीत के दौरान ही पति ने दूसरी तरफ विस्फोट की आवाज सुनी और फोन कट गया।

चार दिन बाद अस्पताल में शीजा से मिलने वालों का कहना है कि वह जल्द ही ठीक हो जाएंगी। उनकी कहानी भी केरल के नर्सिंग कर्मचारी की प्रतिबद्धता की एक मिसाल है। शीजा के एक दोस्त अरुण किझाक्कन भी तेल अवीव में नर्सिंग के काम से जुड़े हैं।

उनसे मिलने के बाद उन्होंने बताया, ‘उस दौरान कोई मिसाइल अलार्म नहीं मिला था। वह बंकर में भी नहीं जा सकती थीं क्योंकि उस समय वह जिसकी देखभाल कर रही थीं उसे चलने में कठिनाई हो रही थी। इसीलिए उन्होंने उसके साथ ही रहने का फैसला किया था। वह एक महीने में पूरी तरह ठीक हो जाएंगी।’

शीजा को पहले एश्केलॉन में 600 बेड वाले सामान्य जिला अस्पताल, बरजिलाई मेडिकल सेंटर और बाद में लोड रिशॉन के तेल अवीव हॉस्पिटल में भेजा गया जहां उनकी कई सर्जरी हुई है। वह पिछले सात साल से इजरायल में काम कर रही हैं।

फरवरी 2023 में विदेश मंत्रालय के प्रवासी भारतीयों की आबादी से जुड़े ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि इजरायल में 12,467 प्रवासी भारतीय हैं। इजरायल मलयाली फेडरेशन के अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इनमें से करीब 6,000-6,500 लोग केरल से हैं और वे नर्सिंग के पेशे से जुड़े हैं।

भारत सरकार के एक सूत्र के अनुसार, इजरायल से भारतीयों को निकालने की संभावित योजना के प्रस्ताव पर चर्चा की गई है, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

नर्सिंग पेशे से जुड़े भारतीयों के लिए इजरायल बेहद पसंदीदा जगह

नर्सिंग पेशे से जुड़े भारतीयों के लिए इजरायल बेहद पसंदीदा जगह है क्योंकि यहां वेतन की शुरुआत 1.25 लाख रुपये से शुरू होती है जिसमें खाने-पीने, रहने और इलाज का खर्च शामिल नहीं हैं। इसके अलावा, उन्हें सब्त के दिनों (शुक्रवार दोपहर से शनिवार दोपहर) में छुट्टी मिलती है और ओवरटाइम काम के लिए अतिरिक्त पैसे भी मिलते हैं।

किझाक्कन ने कहा, ‘मैं पिछले तीन साल से तेल अवीव में काम कर रहा हूं। मैंने पहले कभी इस तरह की चिंताजनक स्थिति नहीं देखी है। इससे पहले भी हमास कई महत्त्वपूर्ण शहरों पर हमले करने के लिए मिसाइलों का इस्तेमाल करता था। यह पहली बार है कि वे इजरायल के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं और लोगों को मार रहे हैं। हालांकि, आज हालात पहले से सामान्य हैं।’

शनिवार को युद्ध की शुरुआत के बाद से, तेल अवीव में भारतीय दूतावास और फिलिस्तीन में भारत के प्रतिनिधि कार्यालय ने चेतावनी जारी करते हुए उन क्षेत्रों में भारतीय नागरिकों को सावधानी बरतने, अनावश्यक आवाजाही से बचने और सुरक्षा स्थलों के आसपास रहने के लिए कहा है। उत्तरी इजरायल के हाइफा में नर्सिंग पेशे से जुड़ी निबू चांडी ने संपर्क किए जाने पर कहा कि इजरायल में अब जीवन सामान्य हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘सब कुछ सामान्य हो गया है। हम सुन रहे हैं कि सीमा के इलाकों से लोगों को निकाला गया है। सड़कों पर सामान्य तरीके से गाड़ियां चल रही हैं। हाइफा में इस समय कोई दिक्कत नहीं है। हमें इजरायल में अपनी सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है।’

भारत सरकार के सूत्र ने कहा कि भारतीयों को सहायता देने के मामले में दूतावास के अधिकारियों से मार्गदर्शन के लिए सीधे संपर्क करने के अलावा, अब तक कोई दूसरे उपाय नहीं किए गए हैं। इस क्षेत्र में देखभाल करने वालों और नर्सिंग पेशे से जुड़े भारतीय लोगों के अलावा भारतीय छात्र और सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर भी रहते हैं। इस साल मई में भारत और इजरायल दोनों देशों ने निर्माण और नर्सिंग के क्षेत्र में 42,000 भारतीय कामगारों को काम करने की अनुमति देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

जीवन यापन की बढ़ती लागत और हजारों परिवारों की मदद के लिए नर्सिंग देखभाल सेवाओं की बढ़ती मांग के चलते इजरायल ने देश में ‘कामगारों की कमी’ की समस्या से निपटने के लिए इस करार का स्वागत किया था। इजरायल में भारतीय मूल के करीब 85,000 यहूदी नागरिक रहते हैं।

यहां की अच्छी बात यह है कि इजरायल में लोगों की देखभाल के काम से जुड़े लोगों के लिए अंग्रेजी भाषा की परीक्षा पास करने की कोई आवश्यकता नहीं है और नर्सिंग स्नातक के अलावा, सहायक नर्सिंग और मिडवाइफरी या जनरल नर्सिंग की योग्यता रखने वाले भी ऐसी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।

सरकारी आंकड़ों की मानें तो फिलिस्तीन में सिर्फ 20 भारतीय हैं। इनमें वेस्ट बैंक के रामल्ला में प्रतिनिधि कार्यालय के राजनयिक और सहायक कर्मचारी शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि ऐसा कोई निश्चित आंकड़ा उपलब्ध नहीं हैं कि फिलहाल कितने भारतीय संकटग्रस्त क्षेत्र गाजा पट्टी में फंसे हुए हैं।

First Published : October 11, 2023 | 11:15 PM IST