नई दिल्ली घोषणापत्र के मूल संदेश पर राजनयिकों की खींचतान खत्म होने से बहुत पहले ही भारत ने काफी हद तक यह सुनिश्चित कर लिया था कि जी20 नेता खुश होकर ही अपने देश लौटेंगे। मौजूदा सरकार द्वारा बनाई गई परंपरा का पालन करते हुए सभी आने वाले नेताओं को देश की विविधता को दर्शाने वाले विशिष्ट उपहार भेंट किया गया।
इन उपहारों में भारत की समृद्ध और विविध विरासत वाली कलाकृतियों को दर्शाने वाले हस्तशिल्प और खास वस्तुएं शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने उन वस्तुओं की एक सूची तैयार की थी जिनके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने मंजूरी दी थी।
इन उपहारों में पूरे देश भर की खास और मशहूर चीजें शामिल की गई जिनमें सरकार की आधिकारिक उपहारों की सूची में बार-बार जगह बनाने वाली कश्मीरी पश्मीना से लेकर तमिलनाडु की नीलगिरि चाय तक शामिल है और अधिकांश वस्तुएं विशिष्ट भौगोलिक संकेतक टैग से लैस हैं।
अमेरिका ने भारत की प्रशंसा की
अमेरिका ने जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए भारत की सराहना की और इसे एक बड़ी ‘सफलता’ करार दिया। साथ ही ‘भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा’ की भी सराहना की, जो यूरोप से एशिया तक और दोनों महाद्वीपों में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करेगा।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने सोमवार को दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ यह ‘भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा’ एक ऐतिहासिक कदम है। हमें लगता है कि इससे यूरोप से एशिया तक संपर्क के एक नए युग की शुरुआत होगी जो दोनों महाद्वीपों में आर्थिक वृद्धि, आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगा। साथ ही ऊर्जा और डिजिटल संपर्क में सहयोग करेगा।’
मिलर ने हाल ही में नई दिल्ली में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन को एक बड़ी सफलता करार दिया। उन्होंने जी20 सदस्य देशों की ओर जारी बयान के संबंध में कहा, ‘ जी20 एक बड़ा संगठन है, रूस जी20 का सदस्य है, चीन जी20 का सदस्य है, ये ऐसे सदस्य हैं जिनके विचार विविध हैं।
हम इस तथ्य पर विश्वास करते हैं कि संगठन एक ऐसा बयान जारी करने में सक्षम था जो क्षेत्रीय अखंडता तथा संप्रभुता का सम्मान करने का आह्वान करता है, साथ ही कहता है कि इन सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए। यह एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण बयान है क्योंकि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की मूल वजह यही है।’