जाने-माने बैंकर दीपक पारेख (Deepak Parekh) ने शुक्रवार को मुंबई में एफटी एमएफ के एक कार्यक्रम में कहा कि फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्युचुअल फंड (एफटी एमएफ) वर्ष 2020 में कोविड-19 के दौरान जिस तरह से ऋण संकट का मुकाबला करने करने में सक्षम रहा, उसके लिए फंड की सराहना की जानी आवश्यक है।
एफटी एमएफ ने बॉन्ड बाजार में तरलता के अभाव के बीच बिकवाली दबाव को ध्यान में रखकर अप्रैल 2022 में अपनी 6 डेट योजनाएं बंद कर दी थीं।
उन्होंने कहा, ‘यह अत्यधिक अनिश्चितता का समय था, लॉकडाउन के बीच और तरलता की किल्लत के दौरान कुछ डेट फंड बिकवाली के दबाव में फंस गए थे। अत्यधिक बिकवाली निवेशकों की निवेश वैल्यू समाप्त कर सकती थी, लेकिन मूल्य सुरक्षित बनाने के मकसद से फंडों को बंद करने से यूनिटधारकों के बीच चिंता और गहरा गई थी।’
निवेशकों के भुगतान पर नजर रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एसबीआई एमएफ को नियुक्त किया गया था। एसबीआई एमएफ ने हाल में सभी 6 योजनाओं के लिए परिसंपत्ति बिक्री प्रक्रिया पूरी होने की घोषणा की है। इस बिक्री से यूनिटधारकों को योजनाएं बंद करते समय दर्ज की गई एयूएम का 100 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त हुआ है। जहां हाल के वर्षों में एमएफ उद्योग की मजबूत वृद्धि का संकेत मिला है, वहीं पारेख ने अनुपातहीन वृद्धि की आशंका भी जताई है।
उन्होंने कहा, ‘जहां म्युचुअल फंड उद्योग में मजबूत वृद्धि हुई है, वहीं हमें अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। भारत में 50 करोड़ से ज्यादा पैन कार्डधारक हैं और 11 करोड़ से ज्यादा डीमैट खाते हैं, जिनमें से 6 करोड़ पिछले तीन साल में खुले हैं। इसके विपरीत, भारतीय म्युचुअल फंड उद्योग सिर्फ करीब 4 करोड़ निवेशकों तक पहुंच बना पाया है, जिससे अनुपातहीन वृद्धि का संकेत मिलता है।’