छत्तीसगढ़ की राजनीति में पीढ़ीगत बदलाव के संकेत के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और आदिवासी नेता विष्णु देव साय को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाया है। राज्य में जातिगत समीकरण को संतुलित करते हुए भाजपा एक उपमुख्यमंत्री के नाम की भी घोषणा कर सकती है मगर अभी भी मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्री कौन होगा यह निश्चित नहीं हो सका है।
59 वर्षीय साय छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस के आदिवासी नेता अजीत जोगी 1 नवंबर, 2000 को राज्य के स्थापना होने के तीन साल तक पहला विधानसभा चुनाव होने तक प्रदेश के अंतरिम मुख्यमंत्री थे।
पार्टी द्वारा नाम की घोषणा के बाद साय ने प्रदेश के गरीबों के लिए 18 लाख घर बनाने की प्रधानमंत्री की गारंटी को पूरा करने का वादा किया है। साय ने ऐलान किया कि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर उनकी सरकार किसानों को दो साल का बोनस जारी करेगी।
‘छत्तीसगढ़ के लिए मोदी की गारंटी’ शीर्षक वाले घोषणापत्र में भाजपा ने कृषि उन्नति योजना शुरू करने का वादा किया था। इसके तहत राज्य की सत्ता में आने के बाद सरकार किसानों से 21 क्विंटल धान 3,100 रुपये प्रति एकड़ की दर से खरीदेगी। केंद्र सरकार ने हाल ही में धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 2,183 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
छत्तीसगढ़ को प्रदेश की कमान संभालने की जिम्मेदारी देने के साथ भाजपा ने हाल ही में खत्म हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिले अनुसूचित जनजातियों से अपार समर्थन को स्वीकार किया है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, छत्तीसगढ़ की 31 फीसदी आबादी आदिवासी है।
पिछले रविवार को दिल्ली में अपने विजयी भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कैसे अनुसूचित जनजातियों ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा का समर्थन किया। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने रविवार को कहा कि पार्टी उप मुख्यमंत्री भी चुन सकती है। प्रदेश में 52 फीसदी आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की है।
रविवार को भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और नए बने केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्बानंद सोनोवाल और दुष्यंत गौतम के रायपुर पहुंचने के बाद विधायक दल की बैठक में साय के नाम की घोषणा की गई।
साय ने कुनकुरी विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मतदाताओं से उन्हें जीताने की अपील की थी और कहा था कि ‘हम उन्हें बड़ा आदमी बनाने का वादा करते हैं।’ साइ ने कांग्रेस के यूडी मिन्ज को 25,541 वोटों से हराया।
साल 2003 के बाद भाजपा ने इस साल के चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। पार्टी ने आदिवासी क्षेत्रों में दमदार प्रदर्शन के दम पर 42.67 वोट हिस्सेदारी के साथ 54 सीटों पर कब्जा किया। भारतीय जनता पार्टी ने सरगुजा की सभी 14 और बस्तर के 12 में से 8 सीटों पर जीत दर्ज की। सूत्रों का कहना है कि साय के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के साथ भी बेहतर संबंध रहे हैं और उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ भी काम किया है। उन्होंने इंटरमीडिएट (उच्च माध्यमिक) तक की पढ़ाई की है और वह पेशे से किसान हैं। साल 1989 में उन्होंने जशपुर जिले के बगिया गांव के सरपंच के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी और 1990 में तपकरा विधानसभा सीट से मध्य प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे।
साय दो बार के विधायक रह चुके हैं और साल 1999 से 2019 तक वह चार बार रायगढ़ से लोकसभा सांसद निर्वाचित हो चुके हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल यानी साल 2014 से 2019 तक वह केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री थे।
दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में साय सहित छत्तीसगढ़ के सभी दस सांसदों को हटा दिया था। साय प्रदेश भाजपा के दो बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं। साय राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके चाचा नरहरि प्रसाद भी दो बार के विधायक और सांसद रहे हैं, साथ ही 1977 में जनता पार्टी की सरकार में भी मंत्री थे। उनके दादा बुद्धनाथ साय 1947 से 1952 तक मनोनीत विधायक थे। उनके पिता के बड़े भाई केदारनाथ साय भी तपकरा सीट से 1967 से 1972 तक विधायक रहे हैं।
साय की मंत्रिपरिषद में वे लोकसभा सांसद शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद लोकसभा से इस्तीफा दे दिया है। इनमें गोमती साय, पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह और राज्य इकाई के प्रमुख अरुण साव शामिल हैं। रायगढ़ लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में गोमती साय ने विष्णु देव साय की जगह ली थी और अब वह विधायक हैं।