वाहन विनिर्माताओं के लिए यात्री कार और स्पोट्र्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) की तुलना में दोपहिया वाहन बेहतर दांव साबित हुआ है। एसयूवी सहित यात्री वाहनों (पीवी) की बिक्री वित्त वर्ष 2020 में घटकर 26.5 लाख वाहन रह गई जो पिछले चार साल का निचला स्तर है। जबकि वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2020 के दौरान दोपहिया वाहनों के बाजार में करीब 9 फीसदी की वृद्धि हुई।
वित्त वर्ष 2020 के दौरान घरेलू बाजार में यात्री वाहनों की बिक्री सालाना आधार पर 22 फीसदी घटकर 26.5 लाख वाहन रह गई जबकि दोपहिया वाहनों की बिक्री इस दौरान 18 फीसदी की गिरावट के साथ 1.74 वाहनों की रही। पिछले एक दशक में दोपहिया वाहनों की बिक्री रफ्तार यात्री वाहनों के मुकाबले लगातार अधिक रही है। पिछले 10 वर्षों के दौरान यात्री वाहनों की बिक्री में 3 फीसदी की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ोतरी हुई जबकि दोपहिया वाहनों की बिक्री में 6.4 फीसदी सीएजीआर की बढ़त दर्ज की गई। विश्लेषकों का कहना है कि इससे रोजगार बाजार की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है जिसका शहरी भारत पर बड़ा आर्थिक प्रभाव होगा।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के जिनेश गांधी ने कहा, ‘आमतौर पर लोग अपनी पहली नौकरी लगने पर दोपहिया वाहन खरीदते हैं और उसके बाद आमदनी बढऩे के बाद वे अपने वाहन को कार या एसयूवी में अपग्रेड करते हैं। लेकिन पहले के मुकाबले अब इसमें अधिक तेजी नहीं दिख रही है।’
अन्य विश्लेषकों का कहना है कि दोपहिया वाहन ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में अधिक लोकप्रिय हैं, जबकि महानगरों और बड़े शहरों में कार की मांग अधिक होती है।
नारनोलिया सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी शैलेन्द्र कुमार ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि आर्थिक मंदी का महानगरों और बड़े शहरों में क्रय शक्ति पर कहीं अधिक प्रभाव पड़ा है। इससे कारों की बिक्री को तगड़ा झटका लगा है।’ परिणामस्वरूप, दोपहिया बनाम कार अनुपात में तेज वृद्धि दर्ज की गई। दस साल पहले हरेक यात्री कार पर दोपहिया वाहनों की संख्या 4.8 थी लेकिन अब यह अनुपात बढ़कर 6.7 गुना हो गया है जो 17 साल का सर्वाधिक स्तर है। इससे एक ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां होंडा जैसी प्रमुख वाहन विनिर्माताओं को कार के मुकाबले दोपहिया वाहन श्रेणी से अधिक कमाई हो रही है। वित्त वर्ष 2019 में होंडा मोटरसाइकिल ऐंड स्कूटर्स इंडिया ने 27,000 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया जबकि होंडा कार्स इंडिया का राजस्व 17,000 करोड़ रुपये रहा। इसी प्रकार, होंडा की भारतीय दोपहिया इकाई ने वित्त वर्ष 2019 में लगभग 3,500 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ दर्ज किया जबकि होंडा कार्स के मामले में यह आंकड़ा 1,400 करोड़ रुपये रहा। होंडा उन चुनिंदा वाहन कंपनियों में शामिल है जिनकी दोपहिया और यात्री कार दोनों बाजारों में मजबूत उपस्थिति है।
भारत में होंडा की किसी भी सहायक इकाई के लिए वित्त वर्ष 2020 के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इससे लगता है कि आय बढऩे के साथ ही कार खरीदने संबंधी उपभोक्ताओं की आकांक्षा कम हो गई है। यह प्रवृत्ति वित्त वर्ष 2004 से वित्त वर्ष 2011 के दौरान काफी जबरदस्त रही थी। परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2004 से वित्त वर्ष 2011 के दौरान दोपहिया बनाम कार अनुपात में लगातार गिरावट दर्ज की गई थी क्योंकि उस दौरान दोपहिया वाहनों के मुकाबले कारों की बिक्री रफ्तार काफी अधिक थी।