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Koo Shutdown: Twitter को टक्कर देने वाला कू क्यों हो गया बंद? को-फाउंडर्स ने साझा पोस्ट में बताई असली वजह

को-फाउंडर्स ने कहा कि उन्होंने 'बेहतर सिस्टम, एल्गोरिदम और मजबूत शेयरहोल्डर्स-फर्स्ट की इच्छा के साथ, X/ट्विटर के मुकाबले कम समय में ग्लोबल लेवल स्केलेबल प्रोडक्ट बनाया है।'

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रत्न शंकर मिश्र   
Last Updated- July 03, 2024 | 2:26 PM IST

Koo Shutdown: भारत में बने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू (Koo) आज से बंद हो गया है। कंपनी के फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने कंपनी को बंद करने की जानकारी दी। अप्रमेय और मयंक ने माइक्रोसॉफ्ट द्वारा डेवलप्ड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन (LinkedIn) पर पोस्ट कर कंपनी को बंद करने का ऐलान किया और कहा कि उस महत्वाकांक्षी वेंचर को समाप्त करना पड़ रहा है जिसका उद्देश्य ग्लोबल सोशल मीडिया स्पेस में जगह बनाना था।

फाउंडर्स मे बताया कि टेक्नोलॉजी को लेकर लगने वाली लागत और अन्य कंपनियों के साथ पार्टनरशिप जैसे मुद्दों पर बात नहीं बन पाई, जिसकी वजह से इसे बंद करना पड़ रहा है। फाउंडर्स ने Koo की कुछ एसेट को बेचने का इरादा भी जताया है।

को-फाउंडर्स ने कहा, ‘यह बहुत कठिन और जटिल टेक्नोलॉजी है और हमने इसे रिकॉर्ड समय में बड़ी मेहनत से बनाया है। हमें इनमें से कुछ संपत्तियों को सोशल मीडिया में भारत के प्रवेश के लिए एक महान दृष्टिकोण वाले किसी व्यक्ति के साथ साझा करने में खुशी होगी।’

क्यों बंद हुआ Koo

गौरतलब है कि साल 2023 में टाइगर ग्लोबल (Tiger Global) द्वारा समर्थित Koo ने फंडिंग की कमी के कारण 30 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी कर दी थी। भले ही कंपनी की सक्सेस स्टोरी एक समय की बेहतर रही हो, लेकिन इसके साथ मर्जर या हिस्सेदारी के लिए कोई भी कंपनी आगे नहीं बढ़ी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, Koo की बातचीत न्यूज कंटेंट एग्रीगेटर डेलीहंट (DailyHunt) के साथ चल रही थी, लेकिन बात नहीं बन सकी।

Koo के को-फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने अपनी साझा लिंक्डइन पोस्ट में कहा ‘हमने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, समूहों और मीडिया घरानों के साथ साझेदारी की कोशिश की, लेकिन इन बातचीत से वह परिणाम नहीं निकला जो हम चाहते थे। उनमें से ज्यादातर यूजर जनरेटेड कंटेंट और एक सोशल मीडिया कंपनी के नेचर से निपटना नहीं चाहते थे।’

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया, AI, स्पेस या इलेक्ट्रिक व्हीकल जैसे क्षेत्रों में भारत के महत्वाकांक्षी, दुनिया में पैठ बनाने वाले उत्पादों के निर्माण के लिए धैर्यवान, दीर्घकालिक पूंजी की आवश्यकता होती है। वैश्विक दिग्गजों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते समय, पर्याप्त पूंजी आवश्यक है। ये वेंचर उतार-चढ़ाव वाले पूंजी बाजार पर भरोसा नहीं कर सकते हैं; उन्हें अपनी वृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।’

कभी Koo पर होते थे 21 लाख डेली यूजर्स, Twitter को कंपनी दे रही थी टक्कर

जब कू का बिजनेस बेहतर ढंग से चल रहा था तो इसके पास 21 लाख डेली यूजर्स और 1 करोड़ मंथली यूजर्स थे। कू को यूज करने वाले लोगों में 9,000 तो करीब VIP लोग थे।

लिंक्डइन पोस्ट में फाउंडर्स ने कहा कि उन्होंने ‘बेहतर सिस्टम, एल्गोरिदम और मजबूत शेयरहोल्डर्स-फर्स्ट की इच्छा के साथ, X/ट्विटर के मुकाबले कम समय में ग्लोबल लेवल स्केलेबल प्रोडक्ट बनाया है।’

फाउंडर्स ने कहा, ‘हम 2022 में भारत में ट्विटर को हराने से कुछ ही महीने दूर थे और पूंजी के साथ हम उस अल्पकालिक लक्ष्य को दोगुना कर सकते थे।’ लिंक्डइन पोस्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

गौरतलब है कि Koo भारत में पूरी तरह से डेवलप की गई देसी कंपनी है। कहा जाता है कि बेंगलूरु की सोशल मीडिया कंपनी को अनुचित कंटेंट मॉडरेशन पर ट्विटर और भारत सरकार के बीच लड़ाई से फायदा हुआ था, जिसकी वजह से कई मशहूर हस्तियों, सरकारी अधिकारियों और नागरिकों ने ट्विटर छोड़ दिया और स्वदेशी रूप से निर्मित उसके विकल्प का रुख कर लिया था।

आगे क्या

दोनों को-फाउंडर्स ने अपनी साझा पोस्ट में कहा है कि Koo अब दुनिया भर में देशी भाषाओं में सोशल कनवर्जेशन को सक्षम करने के लिए अपनी एसेट को डिजिटल पब्लिक गुड्स बनाने के लिए मूल्यांकन करेगी।

क्या करती थी Koo

वर्ष 2020 में स्थापित Koo बहुभाषी माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म (multilingual microblogging platform) था, जो यूजर्स को टेक्स्ट, ऑडियो और वीडियो के जरिये बातचीत की सुविधा प्रदान करता है। यह इन्फलुएंसर को अपने कम्युनिटी से जुड़ने और अपने फैन्स के साथ बातचीत करने की भी सुविधा देता था।

First Published : July 3, 2024 | 2:18 PM IST