प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक नई स्कीम शुरू की है। इस स्कीम के तहत ग्लोबल इलेक्ट्रिक कार कंपनियां अब कम आयात शुल्क के साथ भारत में अपनी गाड़ियां बेच सकती हैं, बशर्ते वे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करें। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने मंगलवार को इस स्कीम के लिए आवेदन पोर्टल का उद्घाटन किया। यह पोर्टल 21 अक्टूबर तक खुला रहेगा।
मंत्री ने बताया कि मशहूर इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला भारत में सिर्फ शोरूम खोलने और अपनी गाड़ियां बेचने में रुचि दिखा रही है। उन्होंने कहा, “टेस्ला का इरादा केवल शोरूम खोलने का है। वे भारत में अपनी कारें बेचना चाहते हैं, लेकिन अभी तक निर्माण इकाई लगाने की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है।” वहीं, मर्सिडीज-बेंज जै
इस स्कीम के तहत ऑटोमोबाइल कंपनियों को 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। इसके बदले उन्हें 8,000 इलेक्ट्रिक कारों को 15 फीसदी के कम आयात शुल्क पर लाने की अनुमति मिलेगी, जो कि मौजूदा 70-100 फीसदी शुल्क से काफी कम है। कंपनियों को तीन साल के भीतर भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू करनी होगी और स्थानीय स्तर पर 25 फीसदी मूल्यवर्धन (DVA) हासिल करना होगा। पांच साल के भीतर यह डीवीए 50 फीसदी तक बढ़ाना होगा।
भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव कमरान रिजवी ने बताया कि मंत्रालय जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन और चेकोस्लोवाकिया जैसे देशों की ऑटोमोबाइल कंपनियों और उनके दूतावासों को इस स्कीम में हिस्सा लेने के लिए पत्र लिख रहा है। हालांकि, पाकिस्तान और चीन जैसे सीमावर्ती देशों पर लागू निवेश प्रतिबंध बरकरार रहेंगे।
इस स्कीम में आवेदन करने वाली कंपनियों को 10,000 करोड़ रुपये की वैश्विक आय और 3,000 करोड़ रुपये की फिक्स्ड एसेट्स में निवेश की शर्त पूरी करनी होगी। साथ ही, 5 लाख रुपये का गैर-वापसी योग्य आवेदन शुल्क देना होगा। निवेश में नई मशीनरी, उपकरण, और इंजीनियरिंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट (ER&D) शामिल होंगे, लेकिन जमीन की लागत नहीं गिनी जाएगी। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर 5 फीसदी और नई इमारतों पर 10 फीसदी तक की लागत निवेश में शामिल होगी।
मंत्रालय ने बताया कि 4-5 ऑटो कंपनियों ने इस स्कीम में शुरुआती रुचि दिखाई है। आवेदन की प्रक्रिया 15 मार्च, 2026 तक जरूरत पड़ने पर फिर से खोली जा सकती है। स्कीम के तहत ड्यूटी में छूट की सीमा 6,484 करोड़ रुपये तक होगी।